वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से टूटे चावल का निर्यात 90.2 प्रतिशत बढ़कर 1.1 अरब डॉलर का हो गया है। वित्त वर्ष 21 में 59.57 करोड़ डॉलर के चावल का निर्यात हुआ था। बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से किए गए व्यापार के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर रोक व अन्य श्रेणी के अनाज पर आंशिक प्रतिबंध ऐसे समय में लगाया है, जब इसका निर्यात कई साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। कुल चावल निर्यात में टूटे चावल का हिस्सा वित्त वर्ष 21 के 6.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 11.7 प्रतिशत हो गया है।भारत कम से कम 164 देशों को चावल का निर्यात करता है। वित्त वर्ष 22 में ईरान सबसे बड़ा आयातक था। भारत के कुल चावल निर्यात में उसकी हिस्सेदारी 85.57 करोड़ डॉलर की थी। उसके बाद सऊदी अरब (71.53 करोड़ डॉलर), बांग्लादेश (62 करोड़ डॉलर), बेनिन (53.31 करोड़ डॉलर और चीन (49.76 करोड़ डॉलर) का स्थान है। टूटे चावल का सबसे ज्यादा निर्यात चीन को होता है। वित्त वर्ष 22 में 48.03 करोड़ डॉलर का चावल भेजा गया। उसके बाद सेनेगल (25.35 करोड़ डॉलर), वियतनाम (9.73 करोड़ डॉलर) का स्थान है।सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि अनियमित बारिश के कारण रोपाई उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है, इसलिए उसे ऐसे कदम उठाने पड़े हैं। उम्मीद की जा रही है कि सरकार के इस कदम से वैश्विक कीमतों में तेजी आएगी क्योंकि भारत इस अनाज का बड़ा स्रोत है।संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि जुलाई की तुलना में अगस्त में कीमतों में बहुत मामूली बदलाव हुआ है। एफएओ ने सितंबर 2022 में चावल के मूल्य की अद्यतन जानकारी में यह कहा है। एफएओ का सभी चालव के मूल्य का सूचकांक अगस्त में 108.5 अंक पर था, जो जुलाई के स्तर के समान है। हालांकि यह अगस्त 2021 की तुलना में 10.9 प्रतिशत ऊपर है, जब कीमतें 50 महीने के निचले स्तर पर थीं। असमान बारिश की वजह से यह समस्या हुई है, हालांकि अभी कुछ उम्मीदें बाकी हैं।
