खरीदारों और विक्रेताओं के लिए एक स्वदेशी नेटवर्क बनाकर ऑनलाइन खरीद-फरोख्त को लोकतांत्रिक बनाने संबंधी केंद्र सरकार के प्रयास में बैंकिंग क्षेत्र की काफी दिलचस्पी दिख रही है। कई ऋणदाता इस नेटवर्क में हिस्सेदारी ले रहे हैं। भारतीय ऋणदाता भी इस नेटवर्क के साथ तालमेल बिठाने और अवसर सृजित करने के लिए खरीदार प्लेटफॉर्म स्थापित करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) नेटवर्क में नौ बैंकों ने हिस्सेदारी ली है। इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नैशनल बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, ऐक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में से प्रत्येक ने इस नेटवर्क में 6.35 फीसदी हिस्सेदारी ली है। जबकि कोलकाता के यूको बैंक की इस नेटवर्क में 3.17 फीसदी हिस्सेदारी है। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) में से प्रत्येक ने ओएनडीसी नेटवर्क में 6.35 फीसदी हिस्सेदारी ली है। खबर यह भी है कि देश में डिजिटल भुगतान के लिए स्थापित नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की नजर भी ओएनडीसी में हिस्सेदारी हासिल करने पर है। बैंक ओएनडीसी को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। इसके जरिये वे इस नेटवर्क से जुड़ी कंपनियों को अपने पूरे भुगतन स्टैक की पेशकश कर सकते हैं। उनका कहना है कि इस नेटवर्क के जरिये वे अपने भुगतान एवं निपटान कारोबार की पैठ बढ़ा सकते हैं। उनका मानना है कि इससे बड़ी मात्रा में क्रेडिट, डेबिट, मर्चेंट निपटान और एस्क्रो भुगतान होंगे। ओएनडीसी नेटवर्क के जरिये उपलब्ध लेनदेन डेटा के साथ बैंक अब आपूर्तिकर्ताओं, विक्रेताओं, लॉजिस्टिक्स साझेदारों और पूरी आपूर्ति श्रृंखला को ऋण उपलब्ध कराने में समर्थ होंगे। डेटा के अभाव में ऐसा करना संभव हो पाता है क्योंकि डेटा के आधार पर ही बैंक ऋण वितरण संबंधी निर्णय लेते हैं।ऋणदाताओं का कहना है कि इससे बैंकों के लिए एक कारोबारी विश्वसनीयता सूचकांक तैयार होगा जिससे वे लघु एवं मझोले कारोबारियों को अच्छी तरह समझ सकेंगे। इस प्रकार वे इस क्षेत्र में ऋण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में आसानी से मदद कर सकते हैं। ऋणदाता अपने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) ग्राहकों को भी इस प्लेटफॉर्म पर लाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इससे एमएसएमई को बैंक उधारी के जरिये अपने कारोबार का विकास करने में मदद मिलेगी। बाद में ऋणदाता एमएसएमई को अपने पूरे बैंकिंग उत्पादों की पेशकश कर सकते हैं।एसबीआई के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि विशेष तौर पर डिजिटल सेवाओं को पसंद करने वाले युवाओं के बढ़ते ग्राहक आधार से जाहिर तौर पर एसबीआई जैसे बैंकइस नेटवर्क से जुड़ना चाहेंगे। अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा तभी हो सकता है जब बैंक इस ओएनडीसी जैसे प्लेटफॉर्म पर अपनी सक्रिय मौजूदगी दिखाएंगे और ग्राहकों को छोटेमोटे लेनदेन के लिए भी इसका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। डिजिटल क्रांति के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे ऐसे प्लेटफॉर्म पर मौजूद न रहने से मौजूदा कारोबार के अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा हो जाएगा।’कोटक महिंद्रा बैंक के मुख्य डिजिटल अधिकारी दीपक शर्मा ने कहा, ‘अब यह नेटवर्क शुरू हो चुका है और कोटक महिंद्रा सहित कुछ बैंक शुरुआती भागीदार के तौर पर इससे जुड़ गए हैं।’
