देश के चार राज्यों में सूखा पड़ने और अन्य राज्यों में दूसरी फसलों की ज्यादा बोआई होने से इस खरीफ सीजन में देश का चावल उत्पादन 40 से 50 लाख टन घट सकता है। देर शाम आधिकारिक बयान में कहा गया कि चावल का उत्पादन 60 से 70 लाख टन घटने का अनुमान लगाया गया था लेकिन कुछ क्षेत्रों में अच्छी बारिश से उत्पादन पिछले साल की तुलना में 40 से 50 लाख टन कम रह सकता है। यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खरीफ के चावल उत्पादन पर मॉनसून के असर का पहला आधिकारिक आंकड़ा है। बाद में अच्छी बारिश हो गई तो शुरुआती अनुमान बदल भी सकता है। इससे पहले दिन में खाद्य मंत्रालय ने अपनी प्रस्तुति में चावल का उत्पादन 1 से 1.2 करोड़ टन घटने का अनुमान जाहिर किया था लेकिन बाद में स्पष्ट किया गया कि यह अनुमान 15 दिन पुराने आंकड़े पर आधार पर लगाया गया था। फसल वर्ष 2021-22 के खरीफ सीजन में देश में 11.1 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर गुरुवार रात रोक लगा दी क्योंकि इसमें हैरतअंगेज बढ़ोतरी के कारण देश में किल्लत पैदा हो गई है और पोल्ट्री तथा मुर्गी दाना महंगा हो गया है। टूटे चावल का इस्तेमाल आम तौर पर खाने के लिए नहीं किया जाता। इसका इस्तेमाल मुर्गीपालन उद्योग में दाने के रूप में किया जाता है। विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2022) में 38-39 लाख टन टूटे चावल का निर्यात किया गया, जिसमें करीब 16 लाख टन (41 फीसदी से अधिक) से ज्यादा मुर्गी दाने के तौर पर इस्तेमाल के लिए चीन गया। पांडेय ने संवाददाताओं को बताया, 'इस साल (वित्त वर्ष 2023) अप्रैल से अगस्त तक टूटे चावल के निर्यात में 2019 की इसी अवधि के मुकाबले 4,178 फीसदी की अचंभे में डालने वाली बढ़ोतरी हुई है। जबकि वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2019 के बीच भी इसका निर्यात करीब 319 फीसदी बढ़ा था।' उन्होंने कहा, 'हमने उसना या अधपके चावल और बासमती चावल पर किसी तरह की बंदिश नहीं लगाई है। इन पर न तो अधिक निर्यात शुल्क लगाया गया है और न ही पूरी तरह प्रतिबंध लगा है क्योंकि इन्हें कई देशों में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।' भारत के कुल निर्यात में टूटे चावल का हिस्सा वर्ष 2022 की अप्रैल-अगस्त अवधि में बढ़कर 23 फीसदी हो गया, जो 2019 की इसी अवधि में महज 1.34 फीसदी था। वर्ष 2021-22 में भारत का कुल चावल निर्यात करीब 2.12 करोड़ टन होने का अनुमान है। पांडेय ने कहा कि निर्यात पर रोक से देसी बाजार में किल्लत दूर होगी और यह भी सुनिश्चित होगा कि भारतीय खाद्य निगम के भंडार से ज्यादा चावल एथनॉल बनाने के लिए नहीं लिया जाएगा। अनाज से एथनॉल बनाने वाले उद्योग के एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘टूटे चावल के निर्यात पर रोक से देश में एथनॉल विनिर्माण के लिए इसकी उपलब्धता बढ़ेगी और अनाज से एथनॉल बनाने वालों की जरूरत पूरी करने के लिए एफसीआई का ज्यादा चावल नहीं जाएगा।’ 2021-22 में एफसीआई के गोदामों से करीब 81,000 टन टूटा चावल एथनॉल बनाने के लिए दिया गया था। अगस्त, 2022 तक यह मात्रा बढ़कर 14 लाख टन हो गई क्योंकि खुले बाजार में टूटा चावल ही नहीं था। पांडेय ने कहा कि 1 जनवरी से 8 सितंबर के बीच टूटे चावल के दाम 37.5 फीसदी बढ़े। इसी दौरान मक्का के भाव भी 26.31 फीसदी बढ़ गए क्योंकि टूटा चावल था ही नहीं।
