उत्तर प्रदेश में अब इंटीग्रेटेड टाउनशिप के लिए सौ फीसदी विदेशी निवेश को अनुमति मिल जाएगी। योगी सरकार की प्रस्तावित नयी टाउनशिप नीति के तहत लाइसेंस लेने के बाद जमीन खरीदने वाले विकासकर्त्ताओं को स्टांप शुल्क में 50 फीसदी की छूट भी दी जाएगी। नीति के प्रावधानों के मुताबिक अब टाउनशिप बनाने वाले विकासकर्ताओं के लिए जमीन लेना भी आसान हो जाएगा और वह विकसित क्षेत्र में पड़ने वाली सरकारी जमीन भी ले सकेंगे। उत्तर प्रदेश के आवास विभाग ने नयी टाउनशिप की नीति का प्रारूप तैयार कर लिया है। इस नीति पर सुझाव व आपत्तियां मांगे जाने के बाद इसे मंत्रिपरिषद के सामने अनुमोदन के लिए रखा जाएगा। माना जा रहा है कि अगले महीने से नयी टाउनशिप नीति लागू कर दी जाएगी। नयी टाउनशिप नीति का ड्राफ्ट ऑनलाइन कर दिया गया है और इस पर 21 सितंबर तक सुझाव एवं आपत्तियां मांगी गयी है। पुरानी इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के मुकाबले इस बार इसे अधिका लचीला व निवेशकों के अनुरूप बनाया गया है। इसके मुताबिक विकासकर्ता प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) नीति के तहत टाउनशिप में 100 फीसदी का निवेश कर सकते हैं। टाउनशिप के विकासकर्ताओं को भूउपयोग परिवर्तन शुल्क में 50 फीसदी तो विकास शुल्क में 100 फीसदी की छूट दी जाएगी। पहले की नीति में भूउपपयोग परिवर्तन शुल्क में 25 फीसदी की छूट ही अनुमन्य थी। विकासकर्ता अब नयी नीति के मुताबिक टाउनशिप क्षेत्र में 50 फीसदी तक विस्तार की अनुमित पा सकेंगे। टाउनशिप की परियोजना को पूरा करने की अधिकतम अवधि अब 12 सालों की कर दी गयी है और इसे स्वीकृति देने के लिए ग्रीन चैनल की व्यवस्था की जाएगी। उत्तर प्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) में पंजीकृत टाउनशिप परियोजना को परफारमेंस गांरटी नहीं देनी होगी। प्रस्तावित टाउनशिप नीति में सबसे अधिक सहूलियत विकासकर्ताओं को उनके द्वारा विकसित क्षेत्र में पड़ने वाली ग्राम समाज या सरकार भूमि को लेकर दी गयी है। अब इस जमीन को भी बिल्डर ले सकेंगे। टाउनशिप के लिए 12.5 एकड़ से अधिक जमीन लेने संबंधी मंजूरी आसानी से दी जाएगी और खेती योग्य जमीन को आवासीय में परिवर्तित करने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाएगा। टाउनशिप के लिए विकासकर्त्ता जमीन की खरीद खुद करेंगे हालांकि आवश्यकता पड़ने पर सड़क व पहुंच मार्गों के लिए जमीन का अधिग्रहण विकास प्राधिकरण भी करते हुए इसे उपलब्ध कराएंगे। ग्राम समाज, सीलिंग या सरकारी जमीन के ट्रांसफर के लिए विकासकर्त्ता को शासन से अनुमति नहीं लेनी होगी बल्कि दो महीनों के भीतर संबंधित मंडलों के आयुक्त ही इसका निस्तारण कर सकेंगे। टाउनशिप को स्थानीय नगर निकाय को शौंपे जाने तक विकासकर्त्ता को सीवर व गृहकर नहीं देना पड़ेगा।
