नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर-दिसंबर 2020 के दौरान अस्पतालों और नर्सिंग होम में प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या में कमी आई है। इससे एक साल पहले यह संख्या अधिक थी। कोरोना के प्रभाव के कारण भी इसमें कमी आई। नीति आयोग ने महामारी काल में पोषण अभियान की प्रगति पर जारी एक रिपोर्ट में संस्थागत प्रसव को लेकर यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अनुसार- अक्टूबर-दिसंबर 2020 के दौरान संस्थागत स्वास्थ्य सुविधाओं में करीब 53.48 लाख महिलाओं का प्रसव कराया गया था। यह संख्या इससे एक साल पहले की कोविड-पूर्व की समान अवधि में 54.98 लाख रही थी। इसके अलावा अक्टूबर-दिसंबर 2020 के दौरान प्रसव-पश्चात स्वास्थ्य जांच का लाभ पाने वाली महिलाओं की संख्या करीब 30.52 लाख रही। यह आंकड़ा अक्टूबर-दिसंबर 2019 के दौरान प्रसव-पश्चात जांच कराने वाली 31.31 लाख महिलाओं की संख्या से कम था। नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि अधिकांश राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या कोविड-पूर्व काल की तुलना में घट गई। इस तरह की सबसे ज्यादा गिरावट बिहार और चंडीगढ़ में दर्ज की गई थी।। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 के अंत तक केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी पोषण अभियान के तहत आवंटित कोष का सबसे ज्यादा इस्तेमाल (58 प्रतिशत) केरल में किया गया जबकि ओडिशा में सबसे कम (आठ प्रतिशत) राशि का इस्तेमाल किया गया। वहीं छोटे राज्यों के मामले में नगालैंड (87 प्रतिशत) सबसे आगे रहा और अरुणाचल प्रदेश (नौ प्रतिशत) के साथ सबसे नीचे रहा। केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में लक्षद्वीप (65 प्रतिशत) सबसे ऊपर और पुडुचेरी (22 प्रतिशत) सबसे नीचे रहा। यह रिपोर्ट बताती है कि 15 राज्यों ने 75 प्रतिशत से अधिक नर्सिंग सहायक (एएनएम) पदों पर भर्तियां कर ली हैं जिनमें ओडिशा 100 प्रतिशत रिकॉर्ड के साथ सबसे आगे है। बिहार में 52 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 61 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 71 प्रतिशत एएनएम पदों पर ही भर्तियां हुई हैं।
