भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) किसान क्रेडिट कार्ड को पूरी तरह डिजिटल रूप में लाने का फैसला किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी इस योजना को केवल को केवल दो राज्यों मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में लागू करने का फैसला किया गया है। इसी को देखते हुए आगे पूरे देश में इस योजना को लागू किया जाएगा। मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत बैंकों के भीतर विभिन्न प्रोसेस के ऑटोमेशन और डिजिटलीकरण पर जोर दिया जाएगा। इससे किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए कर्ज देने की प्रक्रिया अधिक आसान बनाने और कर्जदारों की लागत घटाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा आरबीआई का कहना है कि कर्ज के आवेदन करने से लेकर इसके वितरण में लगने वाले समय में भी खासी कमी आएगी। चार सप्ताह के इस समय को घटाकर दो सप्ताह किया जा सकता है। आरबीआई के मुताबिक, ग्रामीण ऋण किसानों के आर्थिक समावेशन के लिए काफी अहम है। क्योंकि इससे कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्रों और संबद्ध उद्योगों की वित्तीय जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। पायलट परियोजना मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के चुनिंदा जिलों में क्रमशः यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और फेडरल बैंक के साथ चलाई जाएगी। इसके अलावा राज्य सरकारें भी इसमें पूरा सहयोग देंगी। किसानों को आसानी से बैकों से लोन दिलाने के लिए वर्ष 1998 में केसीसी योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत बीज, उर्वरक, कीटनाशक जैसे कृषि उत्पादों की खरीद के लिए किसानों को कर्ज मुहैया कराया जाता हैं।
