कारोबारियों पर कन्वर्जन शुल्क की मार पड़ने वाली है। इस बार विशेष क्षेत्र यानी पुरानी दिल्ली के बाजारों के कारोबारियों से भी यह शुल्क वसूला जा सकता है। अभी तक इन कारोबारियों को कन्वर्जन शुल्क से राहत मिलती रही है। दिल्ली नगर निगम के अधिकारी विशेष क्षेत्र वाले बाजारों में सर्वे कर रहे हैं।दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष और सदर बाजार के कारोबारी देवराज बवेजा ने बताया कि 1962 से पहले के बाजारों मसलन चांदनी चौक, सदर बाजार, करोल बाग, खारी बावली, कमला बाजार आदि को विशेष क्षेत्र के बाजार माना जाता है और इन बाजारों पर कन्वर्जन शुल्क लागू नहीं होता है।नगर निगम पहले भी इन बाजारों के कारोबारियों से कन्वर्जन शुल्क लेने की कोशिश करती रही है। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप से इसमें कामयाब नहीं हो पाई। अब नगर निगम एकीकरण के बाद निगम अधिकारियों के हवाले है। इसलिए कारोबारियों की सुनवाई नहीं हो रही है।अधिकारियों को विशेष क्षेत्र का हवाला देने पर वे इसके दस्तावेज मांग रहे हैं। साथ ही यह शर्त लगा रहे हैं कि तब से अब तक दुकानों के ढांचे व दस्तावेजों में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है कि 60 सालों में ढांचे में बदलाव न हो। भाइयों में बंटवारे के कारण एक ही दुकान में से अब दो या अधिक दुकानें हो गई हैं। सदर बाजार में 20 मीटर की दुकान वाले कारोबारी को एकमुश्त 30,000 हजार रूपये से अधिक कन्वर्जन शुल्क देना होगा।दिल्ली केमिकल मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता कहते हैं कि कई दुकानों के जर्जर होने से उनकी जगह नई दुकान बनने या मरम्मत होने से ढांचे में बदलाव स्वाभाविक है। कारोबार बदलने से दस्तावेजों में भी परिवर्तन हुए है। ऐसे में ढांचे में परिवर्तन के आधार पर विशेष क्षेत्र के कारोबारियों को कन्वर्जन शुल्क से मिली राहत को समाप्त करना उचित नहीं है। इस समय अधिकारी बाजारों में दुकानों का सर्वे कर रहे हैं।
