मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने आज कहा कि कंपनी की पहली इलेक्ट्रिक-वाहन (ईवी) लक्जरी या उच्च श्रेणी की कार होगी। कंपनी की सालाना आम बैठक में भार्गव ने शेयरधारकों के सवालों पर कहा कि मारुति का पहला ईवी वित्त वर्ष 2025 तक बाजार में आ सकता है। पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा की अपनी योजना के मुताबिक मारुति 2022-23 में 4 से 5 लाख सीएनजी कारें भी बनाएगी। 2021-22 में कंपनी ने करीब 2.5 लाख सीएनजी कार बनाई थीं। भार्गव ने कहा, ‘ईवी का उत्पादन सुजूकी के गुजरात संयंत्र में होगा और 2024-25 तक इसके आने की उम्मीद है।’ मगर कंपनी की पहली ई-कार ऊपर की श्रेणी की होगी। उन्होंने कहा, ‘कंपनी ई-वाहन की शुरुआत प्रवेश स्तर की कारों के साथ नहीं करेगी। हमें उम्मीद है कि ग्राहकों के बीच इस तरह की ईवी की अच्छी स्वीकार्यता होगी क्योंकि इन्हें बेहतर तरीके से डिजाइन और तैयार किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि ईवी में स्वदेशी हिस्सा बहुत अधिक होगा क्योंकि बैटरी संयंत्र भी लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी रविवार को गुजरात के हंसलपुर में सुजूकी के ईवी बैटरी संयंत्र की आधारशिला रखी थी। पिछले कुछ वर्षों में कंपनी अपनी ईवी योजना पर आगे नहीं बढ़ी थी क्योंकि उसे डर था कि वाहनों के ऊंचे दाम तथा चार्जिंग आदि की समस्या के कारण लोग इन्हें तेजी से नहीं अपनाएंगे। इस बीच मारुति सीएनजी और हाइब्रिड जैसी वैकल्पिक तकनीकों पर भी ध्यान दे रही है। हालांकि टाटा मोटर्स, एमजी मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, हुंडई और किया मोटर्स जैसी कंपनियां देश में अपने ई-वाहन उतार चुकी हैं। इस बीच मारुति की बाजार हिस्सेदारी में कमी आ रही है। कंपनी का बाजार हिस्सा वित्त वर्ष 2019 में 51.21 फीसदी था, जो वित्त वर्ष 2022 में 43.38 फीसदी रह गया है। कंपनी का कुल शुद्ध मुनाफा भी वित्त वर्ष 2022 में 3,879 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2021 के 4,389 करोड़ रुपये से 11.6 फीसदी कम है। कंपनी की बाजार हिस्सेदारी और मुनाफे में कमी के पीछे भार्गव ने कई कारण बताए हैं। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में कंपनी की बिक्री 1 फीसदी घटी है। लेकिन इस दौरान उद्योग की कुल बिक्री में 18 फीसदी की गिरावट आई है। बिक्री में कमी के पीछे बीएस-4 से बीएस-6 उत्सर्जन मानक अपनाए जाने के कारण कीमतें बढ़ना है। 2020-21 में कोविड महामारी आ गई थी और 2021-22 में भी इसका असर देखा गया था।’ कोविड महामारी के अलावा इस दौरान दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की किल्लत से भी बिक्री प्रभावित हुई। भार्गव ने कहा कि यूक्रेन-रूस विवाद से कच्चे माल की लागत बढ़ने की वजह से भी कारों की कीमतें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति में अब सुधार होना चाहिए क्योंकि बिक्री और उत्पादन में भी सुधार हो रहा है और सेमीकंडक्टर तथा कच्चे माल की लागत के मोर्चे पर भी थोड़ी राहत मिली है। भार्गव ने कहा, कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़ जाएगी और हम एसयूवी सेगमेंट में ज्यादा से ज्यादा वाहन लाएंगे। ’
