सरकार ने भले ही गेहूं के दाम कम करने के लिए आटा, मैदा, सूजी के निर्यात पर रोक लगा दी हो। लेकिन इससे गेहूं की कीमतों में ज्यादा गिरावट आने की संभावना नहीं है। क्योंकि आगे त्योहारों की मांग भी है और उत्पादन घटने से बीते वर्षों जितनी गेहूं की उपलब्धता भी नहीं है।कारोबारियों के मुताबिक वर्तमान हालात में गेहूं के दाम मौजूदा भाव के आसपास थोड़ी बहुत घट-बढ के साथ बने रहेंगे। गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद इसके दाम तेजी से गिरे थे। लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे दाम बढ़कर निर्यात पर रोक के पहले के स्तर के करीब आ चुके हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल भर के दौरान पूरे देश में गेहूं का औसत खुदरा मूल्य करीब 28 फीसदी बढ़ चुका है। इस साल 29 अगस्त को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 31.02 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल इसी तारीख को यह मूल्य 24.25 रुपये प्रति किलो था।दिल्ली के गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन ने बताया कि आटा, मैदा व सूजी के निर्यात पर रोक लगने से गेहूं की कीमतों में उतनी गिरावट नहीं आने वाली है, जितनी गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद आई थी। गेहूं के निर्यात पर रोक लगने के बाद इसके दाम 150 से 200 रुपये क्विंटल गिरे थे। इस समय मंडी में गेहूं के भाव 2,490 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। निर्यात पर रोक से 20-30 रुपये प्रति क्विंटल भाव गिरे हैं। हो सकता है कि आगे भी इतनी गिरावट और आ जाए। लेकिन कुछ दिन बाद भाव वापस मौजूदा स्तर पर आ जाएंगे। क्योंकि देश में गेहूं उत्पादन घटने से उपलब्धता कम है।उत्तर प्रदेश की शाहजहांपुर मंडी के गेहूं कारोबारी राजू खंडेलवाल कहते हैं कि मंडी में इस समय गेहूं 2,350 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। आटा, मैदा व सूजी के निर्यात पर रोक के बावजूद गेहूं की कीमतों में ज्यादा मंदे वाली बात नहीं दिख रही है, बल्कि दीवाली तक त्योहारी मांग के कारण दाम चढ भी सकते हैं। क्योंकि देश में गेहूं का स्टॉक कम है। मध्य प्रदेश के गेहूं कारोबारी और ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन अशोकनगर के अध्यक्ष अशोक जैन ने बताया आगे गेहूं के दाम 50-60 रुपये घट-बढ के साथ मौजूदा भाव पर बने रहने की संभावना है।सरकारी आंकड़ों के अनुसार फसल वर्ष 2021-22 में गेहूं का उत्पादन करीब 3 फीसदी घटकर 10.68 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले फसल वर्ष में उत्पादन 10.95 करोड़ टन था। हालांकि कारोबारी अनुमान के मुताबिक इस साल गेहूं का उत्पादन 10 करोड़ टन से भी कम होने का अनुमान है। जबकि सरकार ने रिकॉर्ड 11.13 करोड टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था। सरकारी एजेंसियों की गेहूं की खरीद भी इस साल घटकर 1.8 करोड़ टन रह गई है। पिछले साल यह आंकड़ा 4.33 करोड़ टन था। सरकार ने निर्यात पर रोक लगाने से पहले वर्ष 2022-23 में 100 लाख टन से ज्यादा गेहूं निर्यात का लक्ष्य रखा था। रूस-यूक्रेन संकट के बीच भारत ने वर्ष 21-22 में करीब 78 लाख टन गेहूं निर्यात किया है, जो वर्ष 2020-21 में निर्यात हुए करीब 20 लाख टन से 4 गुना तक ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष में 3-4 महीने के लिए 40 लाख टन के गेहूं निर्यात के सौदे हो चुके थे। लेकिन सरकार ने मई में निर्यात पर रोक लगा दी थी।
