बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय गोवा के मुरगांव बंदरगाह की संपत्तियों के मुद्रीकरण के 884 करोड़ रुपये की निविदा को फिर से तैयार कर सकता है। इस मामले से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। इस टेंडर के लिए प्राथमिक तकनीकी दौर में सिर्फ 2 बोलियां मिली हैं, इनमें से एक अदाणी पोर्ट्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) की बोली अपात्र हो सकती है। यह परियोजना केंद्र सरकार की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का हिस्सा है, जिसके तहत 2024-25 तक 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है। इस पाइपलाइन में बंदरगाहों की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत है। शुरुआती योजना के तहत 2024-25 के अंत तक 12,828 करोड़ रुपये मूल्य की 31 कार्गो बर्थ का मुद्रीकरण किया जाना था, वहीं सागरमाला परियोजना के तहत जहाजरानी मंत्रालय ने पहले ही मध्यावधि योजना में 50 से ज्यादा सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी (पीपीपी) परियोजनाएं इसमें शामिल कर दी है। एपीएसईजेड देश की सबसे बड़ी बंदरगाह परिचालक कंपनी है। इसे 3 बड़े बंदरगाहों के 4 टेंडरों में अपात्रता का सामना करना पड़ा है। 2020 में विशाखापत्तनम बंदरगाह का एपीएसईजेड की विशेष उद्देश्य इकाई (एसपीवी) का ठेका फोर्स मेजर क्लाज लगाकर रद्द कर दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि इसमें हुई गतिविधियां विभिन्न पक्षों के नियंत्रण में नहीं थीं। नियम के मुताबिक इस तरह के टर्मिनेशन से कंपनी भविष्य के टेंडरों के लिए अपात्र हो जाती है। मुरगांव बंदरगाह के लिए दूसरा प्रस्ताव जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर का था। अधिकारियों के मुताबिक बंदरगाह प्राधिकरण ने हाल ही में टेंडर को लेकर मंत्रालय से दिशानिर्देश की मांग की है, क्योंकि अगर एपीएसईजेड अपात्र हो जाती है तो वित्तीय बोली के स्तर पर बोली लगाने वाली केवल एक कंपनी बचेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अन्य बोलीकर्ता इस बात से अवगत होगा कि अपात्रता की संभावना है, इससे अकेले बोलीकर्ता के रूप में उसकी स्थिति मजबूत हो जाएगी।’ इसलिए मंत्रालय इस टेंडर को फिर से तैयार कर सकती है, जिससे इसकी शर्तें ज्यादा आकर्षक हों और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए नए सिरे से बोली आमंत्रित कर सकती है। अधिकारी ने कहा, ‘मौजूदा शर्तें पर्याप्त बोलीकर्ता आकर्षित करने के लिए व्यावहारिक नहीं हैं। हम सामान्यतया अपनी पीपीपी परियोजना में 5 से 6 बोलीकर्ता पाते हैं।’बोली लगाने वालों की संख्या ज्यादा होने पर केंद्र सरकार के लिए मुद्रीकरण ज्यादा लाभदायक होगा। सरकारी स्वामित्व वाले मुरगांव बंदरगाह के बर्थ नंबर 8 और 3 बैराज बर्थ के पुनर्विकास के लिए मई 2022 में बोली आमंत्रित की गई थी। 2020 में सरकार द्वारा अनुमानित परियोजना का मूल्य 700 करोड़ रुपये था, वहीं 842 करोड़ रुपये की निविदा जारी की गई। नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के कंटेनर बर्थ के पहले के टेंडर में अपात्र करार दिए जाने के मामले को लेकर एपीएसईजेड इस साल जून में उच्चतम न्यायालय चली गई। एपीएसईजेड का शुरुआती अनुरोध जेएनपीटी की निविदा की प्रक्रिया रोकने को लेकर था, वहीं वह बंदरगाह प्राधिकरण द्वारा आगे और अपात्र करार देने की स्थिति पर रोक लगाए जाने की उम्मीद कर रही है। जून 2022 में बंबई उच्च न्यायालय ने जेएनपीटी अपात्रता मामले के खिलाफ आवेदन खारिज कर दिया। एपीएसईजेड ने तर्क दिया था कि उसे नई परियोजनाओं में बोली की अनुमति मिलनी चाहिए क्योंकि अपात्रता की मुख्य वजह विजग बंदरगाह पर कोल ऑपरेटिंग टर्मिनल को निरस्त किया जाना है। जेएनपीटी के अलावा कांडला के दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट और विशाखापत्तनम पोर्ट परियोजना में भी एपीएसईजेड को अपात्र करार दिया गया है।
