वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 15.6 प्रतिशत रहेगी। अप्रैल-जून तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े अगले सप्ताह आने को हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक उसके पहले वित्त मंत्रालय ने यह अनुमान लगाया है। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 की अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी में वृद्धि 16.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जीडीपी से जुड़े ज्यादातर घटकों जैसे निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई), सकल नियत पूंजी सृजन (जीएफसीएफ) और सरकार के अंतिम खपत (जीएफसीई) में मजबूत सुधार नजर आ रहा है। वहीं जिंस के ज्यादा दाम और रुपये में गिरावट की वजह से व्यापार प्रभावित हुआ है। ध्यान में रखना होगा कि वित्त मंत्रालय द्वारा जीडीपी में 15.6 प्रतिशत वृद्धि का लगाया गया अनुमान उसके द्वारा नजर रखे जा रहे उच्च संकेतकों के आधार पर है। यह जरूरी नहीं है कि 31 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी होने वाले अनंतिम आंकड़े इसके अनुरूप हों। अधिकारी ने कहा, ‘जीएफसीई में मापा जाने वाला पूंजीगत निवेश सुधार दिखा सकता है वहीं निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है। महंगाई के दबाव के बावजूद निजी खपत में भी सुधार है। बहरहाल भूराजनीतिक स्थिति के कारण व्यापार प्रभावित हुआ है।’ यूक्रेन में रूस के हस्तक्षेप के कारण पैदा हुए गतिरोध का बुरा असर अप्रैल-जून तिमाही पर पड़ा है। इससे आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई और जिंस की कीमतों में बढ़ोतरी हुई। कच्चे तेल का भारतीय बॉस्केट बढ़कर जून की शुरुआत में 118 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया और पूरी तिमाही में औसत कीमत 109.50 डॉलर प्रति बैरल रही है। बहरहाल व्यापार की स्थिति छोड़ दें तो जीडीपी के अन्य सभी घटक में पिछले साल की तुलना में सुधार आया है। विनिर्माण, निर्माण, खनन, कृषि जैसे सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) वाले क्षेत्रों में बेहतरीन वृद्धि की उम्मीद है। यहां तक कि संपर्क वाले क्षेत्र जैसे आतिथ्य, आराम और पर्यटन जैसे क्षेत्रों की भी वापसी हुई है और महामारी के कारण हुए व्यवधान के दौर में मांग में आई कमी के बाद स्थिति ठीक हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 में जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहली तिमाही में 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में वृद्धि दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। पिछले वित्त वर्ष 2022 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 20.1 प्रतिशत थी, क्योंकि वित्त वर्ष 21 में कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन था और इसकी वजह से आधार कम था। वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। वित्त वर्ष 22 के लिए कुल मिलाकर वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.7 प्रतिशत थी औऱ जनवरी-मार्च तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 4.1 प्रतिशत थी, क्योंकि ओमीक्रोन लहर के प्रतिबंधों और जिंसों के दाम में तेजी के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं। ट्रेड, होटल और कम्युनिकेशन सेवाओ को छोड़कर वित्त वर्ष 22 में सभी क्षेत्रों की वृद्धि दर वित्त वर्ष 20 के स्तर से ऊपर रही है। निजी अंतिम खपत व्यय की वृद्धि या निजी खपत चौथी तिमाही में घटकर 1.8 प्रतिशत थी, जो कमजोर कड़ी है। सरकार का व्यय बढ़ा है और यह 4.8 प्रतिशत रहा, जिससे कुल मिलाकर वृद्धि को समर्थन मिला। सकल नियत पूंजी सृजन, जो अर्थव्यवस्था में निवेश मांग को दिखाता है, 4.8 प्रतिशत बढ़ा है। सकल नियत पूंजी सृजन, जो अर्थव्यवस्था में निवेश की मांग को दिखाता है, 5.1 प्रतिशत रहा है। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष की एक हाल की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में वृद्धि करीब 15.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ संकेतकों ने बेहतरीन प्रगति दिखाई है।
