बैंकों के पास हाल तक खासी नकदी देखी जा रही थी, लेकिन विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हस्तक्षेप और कर्ज की मांग में तेजी के कारण अगस्त में बैंकिंग तंत्र में अधिशेष नकदी या तरलता में काफी कमी आई है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में बैंक रोजाना औसतन 1.88 लाख करोड़ रुपये की नकदी जमा करा रहे थे मगर अगस्त में यह घटकर 1.26 लाख करोड़ रुपये ही रह गई। आरबीआई की तरलता समायोजन सुविधा के तहत दैनिक नकदी वापसी इस हफ्ते (सोमवार से गुरुवार तक) 1 लाख करोड़ रुपये से कम रही है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि बैंकों द्वारा केंद्रीय बैंक के पास रोजाना जमा कराई जाने वाली नकदी 1 लाख करोड़ रुपये से भी कम रह गई है। जुलाई में 28 कार्यदिवसों में 5 दिन ऐसे रहे, जब बैंकों ने आरबीआई के पास 1 लाख करोड़ रुपये से कम राशि जमा कराई। ट्रेजरी अधिकारियों के अनुसार जुलाई में अप्रत्यक्ष कर का प्रवाह तेज होने के कारण बड़े बैंकों ने नकदी आवक की गणना सही तरीके से नहीं की गई, जिससे नकदी की मांग अचानक बढ़ गई। इस वजह से पूंजी बाजार में दरें बढ़ गईं। अगस्त में 21 कार्यदिवस में सात दिन ऐसे रहे जब आरबीआई ने औसतन 1 लाख करोड़ रुपये से कम नकदी वापस ली। पिछले कुछ महीनों से आरबीआई मौद्रिक नीति को सख्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जिससे बैंकिंग तंत्र में अतिरिक्त नकदी भी कम रही है। जून-जुलाई में रोजाना औसतन 3.8 लाख करोड़ रुपये की तरलता सोखी गई थी। इसका असर बैंकिंग तंत्र की कोष की लागत पर दिखा है और मनी मार्केट में दरें बढ़कर जुलाई के अंत से बेंचमार्क रीपो दर के करीब आ गई हैं। इससे पहले तक मनी मार्केट में दरें आम तौर पर रीपो दर से कम रही थीं। एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘वैश्विक घटनाक्रम के मद्देनजर आरबीआई के विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में हस्तक्षेप करने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि कर्ज की मांग में जोरदार वृद्धि होने से भी बैंकिंग तंत्र में अतिरिक्त तरलता कम हो रही है।’ डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट थामने के लिए आरबीआई डॉलर बेच रहा है और फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में तेजी बढ़ोतरी की वजह से भी तरलता कम हुई है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को 564.05 अरब डॉलर था, जो अक्टूबर 2020 के बाद सबसे कम है। 19 अगस्त तक विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 6.7 अरब डॉलर की कमी आई है। आरबीआई ने जून में हाजिर बाजार में 3.7 अरब डॉलर की बिकवाली की है जबकि अप्रैल में 2 अरब डॉलर और मई में 1.9 अरब डॉलर खरीदे गए थे। तरतला कम होने से बैंकों पर जमा जुटाने का दबाव बढ़ गया है क्योंकि त्योहारों के दौरान कर्ज की मांग बढ़ने पर उन्हें ज्यादा नकदी की जरूरत होगी। 12 अगस्त को बैंकों की उधारी वृद्धि सालाना आधार पर 15.3 फीसदी बढ़ी है, जबकि जमा 8.8 फीसदी बढ़ा है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी मौद्रिक नीति की बैठक के बाद कहा था कि बैंकों को नकदी की जरूरत के लिए हमेशा केंद्रीय बैंक पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और कर्ज की मांग पूरी करने के लिए जमा आकर्षित करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके बाद कई बैंकों ने जमा दरों में इजाफा भी किया है।
