देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंटरग्लोब एविएशन (इंडिगो) के शेयर में जुलाई की शुरुआत से अब तक करीब 23 फीसदी की तेजी आई है। इस शेयर को बढ़ते प्रतिफल और बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि की उम्मीदों से बल मिला। मौसमी तौर पर कमजोर तिमाही में भी उच्च प्रतिफल बरकरार रहा लेकिन जुलाई में उसकी बाजार हिस्सेदारी घटकर 59 फीसदी से कम रह गई। हालांकि ईंधन कीमतों में तेजी के कारण लागत बढ़ने और तगड़ी प्रतिस्पर्धा के मद्देनजर लाभ की मात्रा के बारे में ब्रोकरेज फर्मों की अलग-अलग राय है। अधिक मूल्य और क्षमता में कमी के कारण प्रतिफल के मोर्चे पर इंडिगो को फायदा हो रहा है।कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) के विश्लेषक आदित्य मोंगिया और टीना विरमानी ने इंडिगो के प्रबंधन का हवाला देते हुए कहा है कि कमजोर समझी जाने वाली दूसरी तिमाही में प्रतिफल मौसमी रुझानों के मुकाबले बेहतर है। इससे पता इंडिगो द्वारा किराया बढ़ाए जाने के बाद अधिक प्रतिफल देने में ग्राहकों की सहजता और प्रतिस्पर्धा की झलक मिलती है। उन्होंने कहा कि ये दोनों रुझान विमानन क्षेत्र के लिए सकारात्मक हैं।कंपनी के लिए प्रतिफल जून तिमाही में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया क्योंकि उस दौरान मांग मौजूदा तिमाही के मुकाबले काफी मजबूत थी। इस प्रकार प्रतिफल के मोर्चे पर प्रदर्शन बाजार के अनुमान से बेहतर रहा। क्रमिक आधार पर प्रतिफल में 19 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई क्योंकि कंपनी ने लोड फैक्टर की कीमत पर राजस्व बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया।मार्च तिमाही के दौरान लोड फैक्टर 76.5 फीसदी था जो जून तिमाही में बढ़कर 79.6 फीसदी हो गया। हालांकि 2019-20 की पहली तिमाही (कोविड पूर्व स्तर) के मुकाबले मौसमी यात्रा 89 फीसदी कम रही।उद्योग में सीमित क्षमता वृद्धि के कारण प्रतिफल और यात्री लोड फैक्टर को बल मिला। वित्त वर्ष 2024 में बढ़त के साथ विस्तार के आसार हैं। बाजार की नजर टाटा समूह पर होगी जिसने एयर इंडिया के बेड़े के लिए आक्रामक रणनीति तैयार की है। केआईई ने विमानन क्षेत्र का आकर्षक रेटिंग दी है लेकिन ऐक्सिस सिक्योरिटीज का मानना है कि प्रतिफल एवं प्रतिस्पर्धा के मोर्चे पर इंडिगो के लिए अनुमान कहीं अधिक आशावादी है।ब्रोकरेज के वेंकटेश बालासुब्रमण्यम का कहना है कि 2015-16 में इंडिगो का स्प्रेड 2.6 रुपये के पार पहुंचा था। उस दौरान विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमतें 13 साल के निचले स्तर पर थीं। फिलहाल ऐसा नहीं है।यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल के उच्चतम स्तर के करीब पहुंचने के बाद फिलहाल 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रही हैं। नई विमानन कंपनियों की मूल्य निर्धारण संबंधी रणनीति से भी प्रतिफल पर असर पड़ सकता है।
