वाहन कलपुर्जा विनिर्माता संघ (एसीएमए) ने सोमवार को बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में इस क्षेत्र ने 4.2 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कारोबार दर्ज किया है। निर्यात में मजबूत प्रदर्शन और आफ्टरमार्केट सेल्स के कारण इसमें पिछले साल की तुलना में 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जब ऑटो के मूल कलपुर्जे काम करना बंद कर देते हैं तो इसको बदलकर दूसरे कलपुर्जे उपयोग में लाए जाते हैं। ये सामान जिस बाजार में मिलते हैं उसे आफ्टरमार्केट कहते हैं। एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएमसीए) ने बताया, 2021 में जहां ऑटो के कलपुर्जों का आयात 33 फीसदी बढ़ा है, वहीं इसके निर्यात में भी 43 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही वाहन कलपुर्जा निर्यात बढ़कर 1.41 लाख करोड़ रुपये हो गया। जबकि इसी साल में निर्यात 1.36 लाख करोड़ रुपये था। एसीएमए के मुताबिक, चीन सबसे ज्यादा (कुल कलपुर्जों का लगभग 30 फीसदी) ऑटो कलपुर्जों का निर्यात भारत को करता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर जर्मनी है, जो 11 फीसदी निर्यात करता है। एसीएमए ने बताया कि दक्षिण अमेरिका इन कलपुर्जों का सामान्य तौर पर 32 फीसदी निर्यात करता था, लेकिन इस साल 46 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। यूरोप ने 31 फीसदी की जगह 39 फीसदी और एशिया ने 25 फीसदी की जगह 40 फीसदी का कुल निर्यात किया। पिछले वित्त वर्ष में निर्यात की गई प्रमुख वस्तुओं में ड्राइव ट्रांसमिशन और स्टीयरिंग, इंजन के पुर्जे, बॉडी, सैशी, सस्पेंशन और ब्रेक थे। 2021-22 में ऑटो पुर्जों के आफ्टरमार्केट का कारोबार 74,203 रुपये करोड़ था, जो पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी ज्यादा है। सड़क पर अधिक वाहनों, वाहनों के लंबे समय तक उपयोग, पुराने वाहनों की मांग में वृद्धि, सामानों की कीमतों में वृद्धि और ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं जैसे नए बिक्री चैनलों के बढ़ने के कारण आफ्टरमार्केट का कारोबार 2021-22 में महामारी के पहले जैसी स्थिति में पहुंच गया है। एसीएमए ने कहा, चिप की किल्लत, कच्चे माल व लॉजिस्टिक्स की ऊंची लागत, वाहन कलपुर्जे के परिवहन के लिए कंटेनर की उपलब्धता, बढ़ती महंगाई, ईंधन की बढ़ती कीमतें, बीमा की ऊंची लागत, दोपहिया में उम्मीद से कम बढ़ोतरी और वाहन कलपुर्जों पर जीएसटी की ऊंची दरें आदि वाहन कलपुर्जा उद्योग के प्रमुख अवरोध हैं, जिसका सामना देश का उद्योग कर रहा है। हालांकि इस क्षेत्र को साल 2022-23 के उच्च अनुमानित जीडीपी, देसी वाहन बाजार में मजबूत मांग, निर्यात में इजाफा, स्वच्छ व नई तकनीक पर ध्यान, राज्यों की इलेक्ट्रिक वाहन नीति और सरकार की पीएलआई योजना का फायदा भी मिल रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र को वाहन कलपुर्जे की बिक्री 2021-22 में 3,520 करोड़ रुपये की रही, जो वित्त वर्ष में बिके कुल कलपुर्जे का एक फीसदी बैठता है। एसीएमए के महानिदेशक वी. मेहता ने कहा, आपूर्ति से जुड़े मसले के बावजूद वाहनों की बिक्री व निर्यात मासिक आधार पर धीरे-धीरे बढ़ा, ऐसे में वाहन कलपुर्जा उद्योग ने 2021-22 में अच्छा प्रदर्शन किया।
