उत्तर प्रदेश में दो दर्जन जिलों की हजारों महिलाओं को जैविक खेती से जोड़ा जाएगा। इन महिलाओं को प्रदेश सरकार जैविक खेती के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने स्वयंसहायता समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं स्वरोजगार से जोड़ते हुए जैविक खेती की योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेश के 24 जिलों की 20,400 महिलाओं को जैविक खेती से जोड़ा जा रहा है और उन्हें सुविधाएं दी जा रही हैं। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 24 जलों की 34 ब्लाकों की महिलाओं को मिशन के तहत चिह्नित किया गया है। इन जिलों में औरैया, आजमगढ़, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, हरदोई, चित्रकूट, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, प्रयागराज, सोनभद्र, सुल्तानपुर, वाराणसी, प्रतापगढ़, बांदा, बस्ती, देवरिया, महोबा, बहराइच, चंदौली, हमीरपुर, जालौन, झांसी और मिर्जापुर शामिल हैं।इन महिलाओं को खेती में प्रशिक्षित करने के साथ उनके उगाए हुए अनाज व अन्य उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने का भी काम प्रदेश सरकार करगी। आजीविका मिशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जैविक खेती के लिए 10-10 महिलाओं के 2040 समूह बनाते हुए 20,400 महिलाओं को चिह्नित किया गया है। इन समूहों को केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर आपर आर्गेनिक फार्मिग के पोर्टल पर पंजीकृत भी कर दिया गया है। जैविक खेती के काम में लगने वाली महिलाओं को मनरेगा के जरिये तैयार होने वाली गोबर की खाद व वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराया जाएगा। प्रदेश सरकार शुरुआत से ही जैविक उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने में मदद करेगी।जैविक खेती के लिए चयनित महिलाओं को तीन साल तक इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इनसे हर साल जैविक तरीकों से खेती करायी जाएगी और इस काम में तकनीकी सहयोग सिलीगुड़ी की विवेकानंद एजुकेशन सोसायटी से लिया जाएगा। जैविक खेती से उपजाए गए उत्पादों को केंद्र सरकार का प्रमाणपत्र मिलेगा। जैविक खेती करने वाले समूहों को भी इसी तरह का प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
