अमेरिकी टेलीविजन धारावाहिक की कड़ी अमेरिकन सिटकॉम फ्रेन्ड्स में महत्त्वाकांक्षी फैशन एक्जीक्यूटिव रेचल धूम्रपान शुरू करने का फैसला करती है। उसी क्षण से उसकी छोटी सी जिंदगी की पसंद उसके बॉस और सहयोगियों पर आश्रित हो जाती है। रेचल और उसका बॉस रोजाना धूम्रपान के लिए तय स्थान पर जाते हैं और एक -दो सिगरेट के कश खींचते हैं। रेचल ने लंबे समय तक सिगरेट से तौबा कर रखी थी और उसने पाया कि वह हंसी मजाक के कई दौर से बाहर हो गई थी। वह सिगरेट जलाती है और उन युवा लड़कियों के समूह में शामिल हो जाती है। यह उसके करियर को प्रभावित करने वाला फैसला होता है। लेकिन इस धारावाहिक के एक सत्र में रेचल की आंखें खुल जाती हैं। दरअसल वाक्या यह होता है कि उसकी साथ काम करने वाले सहकर्मी विदेश यात्रा पर जाते हैं और उसे लेकर नहीं जाते हैं। कोरोना महामारी के दौर के बाद कई कॉरपोरेट घराने कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत देने या दफ्तर बुलाकर काम कराने पर असमंजस की अवस्था में रहते हैं। इससे रेचल जैसे कर्मचारियों को दफ्तर के ढर्रे में आपने को नहीं ढाल पाते हैं या उसमें अपने को ढाल लेते हैं। स्वाभाविक कारणों से ज्यादातर कर्मचारी घर से काम करने के विकल्प को चुनते हैं। लेकिन अब कोविड -19 का खतरा कम हो गया है। घर से काम शुरू करने का विकल्प मुहैया करा कर कॉरपोरेट ने लागत तो कम कर दी थी क्योंकि उन्हें रियल एस्टेट पर कम खर्च करना पड़ रहा था। दफ्तर के बिजली और रखरखाव के खर्चे में कटौती हो गई थी। लेकिन अब कॉरपोरेट के सामने इसका नकारात्मक पक्ष उजागर होने लगा है। कयास यह लगाए जा रहे हैं कि हफ्ते में दो या तीन दिन दफ्तर आने वाले कर्मचारीगण जिद्दी से हो गए हैं और नौकरी छोड़ रहे हैं। अमेरिका के कर्मचारी सांख्यिकी ब्यूरो (यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटिक्स) की बीते साल सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारियों को दफ्तर में बुलाकर काम कराने के बाद 3 प्रतिशत कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ने का फैसला किया है। भारत में स्टाफिंग एजेंसी सीआईईएल के हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक आईटी कंपनियों ने इस साल जून में अपने कर्मचारियों को आंशिक तौर पर दफ्तर बुलाना शुरू किया। आईटी कंपनियों के चार में से तीन कर्मचारियों ने दफ्तर आकर काम करने के विकल्प को नहीं चुना और उनके संगठन ने भी आंशिक रूप से घर से काम करने के विकल्प को जारी रखा। सर्वेक्षण के मुताबिक आईटी कंपनियों ने पूरी तरह दफ्तर से काम शुरू करने के नाजुक मुद्दे पर लचीला रुख अपनाया है। उन्हें डर है कि कर्मचारी त्यागपत्र दे सकते हैं। इस तिमाही में बड़े प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर बढ़ गई है। कॉरपोरेट की दुनिया ने यह जान लिया है कि घर से काम करने के विकल्प को छीना नहीं जा सकता है। ग्रेट प्लेसिस टू वर्क सर्वे के अनुसार काम करने के महानतम संस्थानों को घर से काम करने का विकल्प मुहैया कराने की नीति (वर्क फ्रॉम होम) या कहीं से काम करने की नीति (वर्क फ्रॉम एनिवेयर) की नीति अपनानी होगी या इसका अभाव रहेगा ही। लेकिन आप देख रहे हैं कि डब्ल्यूएफएच-डब्ल्यूएफओ के बीच दरार बढ़ती जा रही है। काम करने की संस्कृति की बात की जाए तो घर से काम करने का विकल्प मुहैया कराने से ऑफिस में अच्छा वातावरण नहीं बनता है। इसके अलावा घर से काम करने के विकल्प देने या नहीं मुहैया कराने के विकल्प के बीच खाई पैदा हो जाती है। इसका परिणाम बाद में पता चलेगा। मानव संसाधन विभाग और लाइन मैनेजर के लिए यह मुद्दा नई चुनौतियां पैदा करता है क्योंकि कर्मचारी एक्स या वाई घर से काम करने के दौरान उपस्थित था या नहीं। वह कुछ और काम तो नहीं कर रहा था।पुरस्कार और वेतन वृद्धि देने के लिए घर से काम करने/ऑफिस से काम करने के तरीके को गुणवत्ता से परे जांचना होगा या उसके कुछ मानक (स्टैंडर्ड की परफार्मेंस इंडिकेटर (केपीआई) शामिल करने होंगे। आप यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि घर से काम करने वाले अच्छे पुरस्कार पाने वालों के खिलाफ दफ्तर से काम करने वाले कर्मचारियों का असंतोष क्रमबद्ध ढंग से बढ़ना शुरू हो गया है।समस्या यह है कि घर से काम करने वालों को कम वेतन और मदें देने की भावना कॉरपोरेट की दुनिया में बलवती हो गई है। कॉरपोरेट की दुनिया इस बात पर कम ध्यान दे रही है कि शहरों में रहने की अलग-अलग लागत के हिसाब से वेतन का ढांचा नहीं बनाया गया है। फिर भी त्रासदी यह है कि प्रबंधन घर से काम करने की नीति के तहत कर्मचारियों को लैपटॉप, मोबाइल फोन और अत्याधुनिक उपकरण मुहैया करवा रहे हैं। इनकी बदौलत कर्मचारी कहीं से भी काम कर सकते हैं। साल 2013 की बात की जाए तो मारिसा मेयर ने याहू की घर से काम करने की आंशिक नीति के खिलाफ त्यागपत्र देकर हंगामा खड़ा कर दिया था। उन्होंने तर्क दिया था कि घर से काम करने की नीति से टीम भावना व उत्पादकता कम हुई है। इन विशिष्टताओं के बावजूद कॉरपोरेट को मजबूरन आंशिक रूप से घर से काम करने का विकल्प कर्मचारियों को मुहैया कराना पड़ा। घर से काम करवाने का विकल्प मुहैया कराने पर एकजुटता का भाव कम होता है और कितनी भी ऑनलाइन मीटिंग करके इस कम हुई एकजुटता की भावना को दुरुस्त नहीं किया जा सकता है। इस मायने में सुश्री मेयर सही हैं कि एक संगठन उसके कुल किए हुए कार्यों से कहीं अधिक होता है। कोविड-19 के दौर से पहले बड़े कॉरपोरेट नियमित रूप से अपने कर्मचारियों को एकसाथ समय बिताने का अवसर मुहैया कराते रहे हैं और उन्हें कार्य करने के स्थान से कहीं और भी लेकर जाते रहे हैं। लेकिन छोटी कंपनियों की आर्थिक हालत इतनी सुदृढ़ नहीं होती है कि वे इस खर्चे को उठा पाएं। रेचल की तरह घर से काम करने वाले कर्मचारी भी यह जान जाते हैं कि उनका कार्य करने का क्षेत्र सभी को साथ लेकर चलने वाला नहीं है। घर से काम करने वाले कर्मचारी एकसाथ कहीं जा नहीं सकते, दफ्तर की गपशप नहीं कर सकते और अपने करियर की बेहतरी के लिए बॉस के कमरे में नहीं जा सकते हैं। घर से काम करने/ दफ्तर से काम करने से पैदा हुई दरार से महिलाओं को फायदा भी हुआ है और नुकसान भी हुआ है। घर से काम करने की सहूलियत भारत की कामकाजी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद रही है। भारत में कामकाजी महिलाओं पर पारंपरिक रूप से परिवार और घर के काम की बहुत ज्यादा जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं। घर से काम करने की नीति की बदौलत कॉरपोरेट के टैलेंट पूल में विस्तार हुआ है क्योंकि वे पहले महिलाओं (विशेषतौर पर युवा महिलाओं) को नौकरी पर रखने में हिचकिचाते थे। थोड़े समय चलने वाला यह हनीमून खत्म हो चुका है और ऑफिस में स्त्री-पुरुष में फर्क फिर दिखाई देगा। पुरुष ऑफिस में अधिक समय बिताते रहे हैं जिसमें महिलाएं शामिल नहीं हो पाती हैं। हाल में मां बनी महिला कर्मचारियों को दफ्तर में खुद उपस्थित होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिससे पुरुष बॉस को उनकी योग्यता कमतर दिखाने का अवसर मिल जाता है। दफ्तर का कार्य खत्म होने का बाद या साप्ताहिक छुट्टी के दिन मीटिंग बुलाने से बच्चों की देखभाल करने वाली महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऑनलाइन मीटिंग से यह दबाव कम हो जाता है लेकिन दफ्तर से काम करने पर कोई फायदा नहीं होता है।
