केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि देश भर में दो लाख से अधिक पैक्स के गठन की जरुरत है। इसके जरिए 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण मुहैया करवाया जाएगा। शाह ग्रामीण सहकारी बैंको के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि देश में फिलहाल 95000 से अधिक पैक्स समितियां हैं जिसमें से 63000 सक्रिय रुप से काम कर रही है। पैक्स समितियां कृषि क्षेत्र की कार्य प्रणाली की आत्मा है इसलिए इसके सशक्तिकरण और विस्तार की जरुरत है। देश भर में तीन लाख पंचायतें मौजूद हैं लेकिन पैक्स समितियों की संख्या सिर्फ 95,000 ही है। ऐसी स्थिति में दो लाख से अधिक नई पैक्स समितियों के गठन करना जरुरी है। शाह ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के वरिष्ठ अधिकारियों से एक पंचवर्षीय योजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के जरिये कृषि क्षेत्र को रुपए मुहैया कराने की दर घटी है। इस समय सक्रिय 63,000 पैक्स समितियों ने दो लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण वितरित किया है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर पैक्स समितियों की संख्या तीन लाख तक पहुंच जाती है तो सहकारी समितियों के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये तक का कृषि ऋण दिया जा सकता है। पांच साल के भीतर मौजूदा पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए कुल 2,516 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। शाह ने पैक्स समितियों का विस्तार करने तथा अधिक संख्या में किसानों को साथ जोड़ने का सुझाव भी दिया। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार एक नई सहकारिता नीति लाने के साथ साथ एक विश्वविद्यालय के गठन और सहकारी समितियों का डेटाबेस तैयार करने की दिशा में भी काम कर रही है। इस मौके पर शाह ने चुनिंदा एससीबीएस, डीसीसीबी और पैक्स समितियों को पुरस्कार भी प्रदान किए। इसके अलावा 100 साल की सेवा पूरी कर चुके कुछ सहकारी ऋण संस्थाों को सम्मानित भी किया गया। इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, राज्य सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय महासंघ के चेयरमैन कोंडुरु रविंदर राव, कृभको के चेयरमैन चंद्रपाल सिंह यादव और नैफेड के चेयरमैन बिजेंदर सिंह आदि मौजूद थे।
