भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा दी जाने वाली सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की केंद्र सरकार की ताजा पहल से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) परेशान नजर आ रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इस निर्णय से उन सेवाओं के निर्यात पर जीएसटी लग सकता है, जिनकी आपूर्ति अभी शुल्क-मुक्त है।इस घटनाक्रम की जानकारी से अवगत दो अधिकारियों ने बताया, ‘एफपीआई के कस्टोडियन इस मुद्दे को बाजार नियामक और वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाएंगे, और इस कर को लगाए जाने के बारे में स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध करेंगे।’ एक अधिकारी ने कहा, ‘18 प्रतिशत की जीएसटी काफी अधिक है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण यह है कि यह नियम का मामला है। जीएसटी स्थानीय कर है, जबकि एफपीआई को पेश की जाने वाली सेवाएं देश से बाहर रह रहे लोगों के लिए होती हैं। इसलिए, दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जीएसटी सेवा के निर्यात के लिए लागू किया जा रहा है। इससे भविष्य में एफपीआई के लिए अधिक जटिलताओं को बढ़ावा मिल सकता है।’ जीएसटी नियमों के तहत, वस्तु या सेवाओं के निर्यात को जीरो-रेटेड सप्लाई के तौर पर समझा जाता है। इसका मतलब है कि वस्तु या सेवाओं के निर्यात को जीएसटी से राहत दी जानी चाहिए, चाहे यह उत्पादन के चरण से संबंधित हो या निर्णायक उत्पाद से। हाल में बाजार नियामक ने यह स्पष्ट किया कि सभी बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों (स्टॉक एक्सचेंज और प्रतिभूति बाजार से संबंधित लोग समेत) को उनके द्वारा वसूले जाने वाले शुल्कों पर 18 प्रतिशत जीएसटी चुकाना होगा। यह स्पष्टीकरण सरकार द्वारा सेबी की ओर से सेवाओं के लिए छूट वापस लिए जाने के फैसले के बाद आया है। इसके परिणामस्वरूप, कस्टोडियन को एफपीआई पंजीकरण पर जीएसटी और अन्य शुल्क चुकाने होंगे। विश्लेषकों के अनुसार, घरेलू बाजार बिचौलियों के विपरीत, एफपीआई के लिए आउटपुट कर देनदारी नहीं होती और वे इस कर के लिए क्लेम क्रेडिट में सक्षम नहीं होंगे, जिससे उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पीडब्ल्यूसी में पार्टनर भविन शाह ने कहा, ‘इस बदलाव की वजह से, सेबी द्वारा वसूले जाने वाले नियामकीय शुल्क (जैसे रजिस्ट्रेशन शुल्क, फाइलिंग और अन्य शुल्क समेत) अब जीएसटी के दायरे में आएंगे। एफपीआई पर किसी तरह की आउटपुट कर देनदारी नहीं है और वे कर लाभ का दावा करने में सक्षम नहीं होंगे। हालांकि नियामक का कारोबार शुरू से ही जीएसटी के अधीन रहा है और इस बदलाव से वह प्रभावित नहीं होगा।’
