उत्तर प्रदेश में बाहरी राज्यों की शराब बिकने पर रोक के चलते आबकारी राजस्व में खासा इजाफा हुआ है। चालू वित्त वर्ष में जुलाई तक आबकारी विभाग ने बीते साल की इसी अवधि की तुलना में 15.31 फीसदी अधिक राजस्व हासिल किया है। आबकारी विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई, 2022 तक गत वर्ष के मुकाबले 1710 करोड़ रुपये अधिक राजस्व आया है। इस अवधि में देशी शराब में 17.65 फीसदी, विदेशी मदिरा में 1.6 फीसदी जबकि बीयर में 52.5 फीसदी अधिक की खपत हुई है। अपर मुख्य सचिव, आबकारी संजय भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश में अवैध मदिरा के निर्माण, बिक्री एवं तस्करी के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जा रही है। आबकारी विभाग द्वारा लगातार की जा रही प्रवर्तन कार्यवाही के चलते इसी साल जुलाई 3160 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया, जबकि गत वर्ष जुलाई में 2795 करोड़ रुपये की प्राप्ति की गयी थी। इसी प्रकार बीते साल जुलाई तक 11164 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, जो इस साल बढ़कर इसी अवधि में 12874 करोड़ रुपये हो गया है। अपर मुख्य सचिव के मुताबिक अप्रैल से लेकर माह जुलाई, 2022 तक देशी मदिरा की खपत में लगातार वृद्धि प्राप्त की गयी है। जुलाई 21 तक जहां देशी मदिरा की खपत प्रदेश में लगभग 5124 करोड़ रुपये की थी वहीं इस साल इसी अवधि में लगभग 6029 करोड़ रुपये की खपत हुई है, जिससे राज्य सरकार को 906 करोड़ रुपये की अधिक आय हुई है। अपर मुख्य सचिव ने आगे बताया कि इस अवधि में विदेशी मदिरा तथा बीयर के उपभोग में लगातार वृद्धि हुई है। विदेशी मदिरा में जुलाई, 2021 तक जहां एक ओर लगभग 3456 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी, वही इस साल तक लगभग 3504 करोड़ रुपये की खपत हुई, जिससे प्रदेश सरकार को गतवर्ष की तुलना में 48 करोड़ अधिक आय हुई है। प्रदेश में बीते साल की तुलना में इस साल जुलाई तक 740 करोड़ रुपये की अधिक आय बीयर की बिक्री से हुई है। आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी ने बताया कि आबकारी विभाग अधिक से अधिक राजस्व हासिल करने के लिए नये-नये स्रोतों को विकसित कर रहा है। इस क्रम में विभाग द्वारा प्रदेश में उद्यमियों को प्रोत्साहित करते हुए नई डिस्टिलरियों की स्थापना तथा पहले से स्थापित डिस्टिलरियों के स्थापित क्षमता में विस्तार किया गया है। इसके अलावा विभाग ने माइक्रोब्रेवरी की स्थापना, नये रेस्टो बार लाइसेंसों की स्वीकृति, रिटेल वेन्ड के नये कान्सेप्ट, होम बार लाइसेंस दिए जाने की दिशा में भी कदम बढ़ाया गया है। इसी के साथ प्रदेश में खपत से बचे हुए फलों के उपयोग व फल उत्पादक किसानों की आय में वृद्धि के लिये वाइनरीज उद्योगों की स्थापना पर जोर दे रहा है।
