वर्ष 2030 तक भारतीय फिनटेक बाजार की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 10 गुना बढ़कर 1 लाख करोड़ डॉलर और राजस्व 200 अरब डॉलर पर पर पहुंच जाने की संभावना है। चिराते वेंचर्स द्वारा अंर्स्ट ऐंड यंग (ईवाई) की भागीदारी में जारी '1 ट्रीलियन डॉलर इंडिया फिनटेक अपॉर्च्युनिटी' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर वृद्धि डिजिटल उधारी बाजार पर आधारित होगी, जिसके वर्ष 2030 तक बहीखाते आकार के संदर्भ में बढ़कर 515 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की संभावना है। भारत को अब सबसे बड़े फिनटेक यूनिकॉर्न इकोसिस्टम्स में से एक के तौर पर पहचान हासिल हो गई है और देश में 21 फिनटेक यूनिकॉर्न (मार्च, 2022 तक) हैं। विलय एवं अधिग्रहण और सहयोगात्मक तंत्र से इस वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है और इसे डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, यूपीआई और अन्य पहलों के विकास से मदद मिली है। फिनटेक से ग्राहकों की बदलती जरूरतें पूरी करने के लिए उत्पादों और डिलिवरी में नवीनता आई है। डिजिटल उधारी खंड के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 अरब डॉलर का निवेश इस सेगमेंट में हुआ है। फिनटेक द्वारा समर्थित उधारी 476 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 514.6 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो सबसे पसंदीदा मॉडल उभरकर सामने आया है, वह है को-लेंडिंग मॉडल। चिराते वेंचर्स के संस्थापक एवं अध्यक्ष सुधीर सेठी ने कहा, 'भारतीय फिनटेक बाजार एक मजबूत वैश्विक ताकत रहा है और भारत में यूनिकॉर्न की सबसे बड़ी भागीदार में योगदान दे रहा है। हम डेटा और टेक्नोलॉजी, दोनों की ताकत में भरोसा रखते हैं और इसलिए अर्लीसैलरी, क्रिस्टनल डॉटएआई, पीबी फिनटेक, शोपसे और वायना जैसी कंपनियों की उपस्थिति बढ़ी है।' को-लेंडिंग एक ऐसे पसंदीदा मॉडल के तौर पर उभरा है जो उधारी भागीदारों को अपने जोखिम को कम करने में मदद करता है।
