वित्तपोषण करने वाली एजेंसी बिजली वित्त निगम (पीएफसी) की सालाना रेटिंग से पता चलता है कि हाल के वर्षों में मामूली सुधार के बाद बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की वित्तीय सेहत एक बार फिर खराब हो गई है। इसमें कहा गया है कि इस सेक्टर का वित्तीय घाटा ‘पहले के रिकॉर्ड के ऊपर’ पहुंच गया है और वितरण कंपनियों का मुनाफा कम होने के साथ यह बढ़ रहा है। बिजली वितरण क्षेत्र का कुल मिलाकर नकदी समायोजित अंतर औसतन करीब 1.04 लाख करोड़ रुपये है और यह दर्ज की गई हानि का करीब 1.4 गुना है।रिपोर्ट में कहा गया है कि डिस्कॉम का घाटा बने रहने के कारण बिजली वितरण क्षेत्र को नकदी का संकट हो गया है। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्थ 2020-21 में डिस्कॉम की मौजूदा देनदारी उसकी कुल मौजूदा नकदी मूल्य का करीब दोगुना है।इसमें कहा गया है, ‘इस समय डिस्कॉम की संपत्तियां सिर्फ उनके उत्पादन, पारेषण और परिचालन देनदारियों के लिए पर्याप्त हैं। अपना बही खाता दुरुस्त करने के लिए उन्हें गैर नकदी वाली संपत्तियों को नकदी में बदलना पड़ेगा।’ डिस्कॉम की वित्तीय और परिचालन संबंधी प्रदर्शन का मूल्यांकन करने वाली रिपोर्ट में पहली बार निजी डिस्कॉम को भी शामिल किया गया है। डिस्कॉम की एसीएस-एएआर (लागत-राजस्व) अंतर, सकल वाणिज्यिक और तकनीकी (एटीऐंडसी) हानि (परिचालन हानि), बिलिंग व संग्रह की कुशलता, कर्ज की स्थिति और नकदी के आधार पर रेटिंग की जाती है। वित्तीय प्रदर्शन का अधिभार सबसे ज्यादा है, उसके बाद परिचालन और बाहरी असर का स्थान आता है।रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 19 से वित्त वर्ष 21 के बीच इस सेक्टर की कुल मिलाकर नकदी समायोजित हानि 10 प्रतिशत बढ़ी है। यह मुख्य रूप से प्रति यूनिट नकदी समायोजित एसीएस-एआरआर अंतर की वजह से हुआ है। वित्त वर्ष 21 में डिस्कॉम को औसतन 0.93 रुपये प्रति किलोवॉट घंटे का नुकसान हुआ है। यह वित्त वर्ष 19 में 0.83 रुपये प्रति यूनिट था। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बढ़ते अंतर की मुख्य वजह एटीऐंडसी हानि स्थिर रहना और इस सेक्टर में लागत के अनुरूप शुल्क न होना है।’बिजली वितरण क्षेत्र का घाटा अब बिजली आपूर्ति शृंखला के अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है क्योंकि डिस्कॉम का बिजली उत्पादकों व पारेषण कंपनियों पर बकाया बढ़कर रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
