लागत यानी खर्च को ज्यादा कुशलता से संभालने के लिए देश का सबसे बड़ा ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) जल्द ही एक सहायक इकाई शुरू करेगा, जो मानव संसाधन जुड़े मसले देखेगी। एसबीआई की परिचालन और सपोर्ट इकाई को हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। सहायक इकाई शुरुआत में ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में शाखाओं के प्रबंधन पर ध्यान देगी और इसकी देखरेख सेक्शन कर्मचारी करेंगे, जिनकी नियुक्ति ठेके यानी कॉन्ट्रैक्ट पर होगी।बंधन बैंक के पूर्व कारोबार प्रमुख संजीव नारायणी को एसबीआई की मानव संसाधन इकाई का प्रमुख बनाया जा सकता है। नारायणी पहले भी 32 साल तक एसबीआई के साथ काम कर चुके हैं और 2019 में बंधन बैंक चले गए थे। मगर अब वह बंधन बैंक को विदा कह चुके हैं।भारत के बैंकिंग उद्योग में यह अपनी तरह की पहली सहायक इकाई होगी, जिसकी लीक पर दूसरे बैंक भी चल सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक कई ऋणदाताओं ने पहले नियामक के पास इन गतिविधियों के लिए सहायक इकाई शुरू करने का आवेदन किया था मगर उन्हें मंजूरी नहीं मिली थी। अब आरबीआई ने स्टेट बैंक के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है तो अन्य ऋणदाता भी ऐसा उद्यम शुरू करने की अपनी योजना पर नए सिरे से काम शुरू कर सकते हैं।इस बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवाल पर स्टेट बैंक ने कहा, 'एसबीआई को कृषि तथा एमएसएमई ऋण गतिविधियों आदि में ग्रामीण एवं कस्बाई शाखाओं की मदद के लिए ऑपरेशन एवं सपोर्ट इकाई स्थापित करने की मंजूरी मिल चुकी है। इससे वित्तीय समावेश के बैंक के प्रयास को बल मिलेगा।' बैंक ने ईमेल से भेजे जवाब में कहा, 'संजीव नारायणी को हमारी स्टेट बैंक ऑपरेशंस सपोर्ट सर्विसेज के बोर्ड का निदेशक नामित किया गया है। वह एसबीआई की ग्रामीण एवं कस्बाई शाखाओं में संपर्क गतिविधियों के संचालन में मदद करेंगे।'सूत्रों ने कहा कि इस इकाई में जो कर्मचारी रखे जाएंगे, उन्हें एसबीआई के कर्मचारियों की तरह लाभ नहीं मिलेंगे। इन कर्मचारियों को ठेके पर रखा जाएगा।31 मार्च, 2022 तक स्टेट बैंक में 99,259 लिपिक, 33,442 उप-कर्मचारी और 1,11,549 अधिकारी काम कर रहे थे। 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में एसबीआई ने कहा था कि बदलती कारोबारी तस्वीर और नियामकीय जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बैंक संपत्ति प्रबंधन, आईटी, सूचना सुरक्षा, जोखिम, क्रेडिट और ऑडिट जैसे क्षेत्रों में अनुबंध पर और लेटरल आधार पर विशेषज्ञों की नियुक्ति कर रहा है। भारत में बैंकों को सहायक इकाई शुरू करने से पहले नियामक से मंजूरी लेनी पड़ती है। आम तौर पर आरबीआई बैंकिंग नियमन कानून के तहत परिभाषित मुख्य गतिविधियों के लिए सहायक इकाई स्थापित करने की अनुमति देता है। मगर कुछ मामलों में केंद्रीय बैंक ने बैंकों को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधित इकाई स्थापित करने की मंजूरी भी दी है। एसबीआई की नई इकाई भी मानव संसाधन के प्रबंधन से जुड़ी है जो बैंक की मुख्य गतिविधि नहीं है। मगर यह बैंकिंग कारोबार से ही जुड़ी है। इस सहायक इकाई का मुख्य उद्देश्य बैंक की लागत और आय के अनुपात को कम करना है। एसबीआई का लागत-आय अनुपात उद्योग के मानदंड से थोड़ा अधिक है क्योंकि इसकी शाखाएं पूरे देश में फैली हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एसबीआई का लागत-आय अनुपात बढ़कर 61.94 फीसदी हो गया था, जो पिछले साल की सामन अवधि में 51.89 फीसदी था। पहली तिमाही में एसबीआई की कुल परिचालन लागत का 45.7 फीसदी वेतन भुगतान पर खर्च हुआ।
