उच्चतम न्यायालय (एससी) ने केंद्र सरकार और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद को निर्देश दिया है कि प्रत्यक्ष कर प्रशासन की तर्ज पर करदाताओं को जीएसटी अधिकारियों द्वारा भेजे गए सभी संवाद में डिजिटल व्यवस्था लागू करने के लिए राज्यों को परामर्श जारी किया जाए। अगर यह फैसला लागू किया जाता है तो प्रत्यक्ष कर प्रशासन में आगे और पारदर्शिता और जवाबदेही की स्थिति बनेगी और सुनिश्चित हो सकेगा कि करदाताओं का उत्पीड़न नहीं हो रहा है।केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2019 में आयकर अधिकारियों द्वारा करदाताओं को भेजे गए सभी संवाद के लिए दस्तावेज पहचान संख्या (डीआईएन) के इलेक्ट्रॉनिक सृजन की व्यवस्था लागू की थी। डीआईएन 20 अंकों का एक पहचान कोड होता है, जो सरकार द्वारा करदाताओं को भेजे गए हर संवाद में उल्लिखित होता है। इस समय आईटी विभाग के साथ किसी भी संवाद में डीआईएन लागू है, चाहे वह नोटिस हो, पत्र हो, ऑर्डर हो, समन हो या किसी तरह का पत्रव्यवहार हो। इसके बगैर दस्तावेज और संवाद अवैध माना जाता है।शीर्ष न्यायालय ने पाया, ‘इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता है कि राज्य के कर अधिकारियों द्वारा करदाताओं व अन्य संबंधित लोगों को भेजे गए सभी संवाद में डीआईएन व्यवस्था लागू करना व्यापक रूप से जनहित में है और इससे बेहतर प्रशासन सुदृढ़ होगा।’ शीर्ष न्यायालय ने आगे कहा कि इससे अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी, जो प्रभावी प्रशासन के लिए बहुत अहम है।न्यायालय ने पाया कि भारत में प्रत्यक्ष कर व्यवस्था देखने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर अधिकारियों द्वारा भेजे जाने वाले सभी संवाद में डीआईएन की व्यवस्था 2019 में लागू कर दी है, जिससे बेहतर पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। न्यायालय ने कहा कि बहरहाल जीएसटी में सिर्फ 2 राज्यों कर्नाटक और केरल ने यह व्यवस्था लागू की है, जो उल्लेखनीय और प्रशंसनीय है।शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘हम संबंधित राज्यों को करदाताओं और अन्य संबंधित व्यक्तियों को राज्य कर अधिकारियों द्वारा भेजे गए सभी संचार के लिए एक डीआईएन सृजित करने की प्रणाली लागू करने पर विचार करने की उम्मीद करते हैं ताकि अप्रत्यक्ष कर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही जल्द से जल्द लाई जा सके।’ शीर्ष न्यायालय एक चार्टर्ज एकाउंटेंट प्रदीप गोयल की ओर से दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें मांग कीगई थीकि राज्य के कर अधिकारियों द्वारा करदाताओं को भेजे गए सभी संवाद में डीआईएन की व्यवस्था लागू की जाए।केपीएमजी इंडिया में पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) अभिषेक जैन ने कहा, ‘शीर्ष न्यायालय द्वारा परिषद को अन्य राज्यों को डीआईएन व्यवस्था लागू करने के आदेश देने का फैसला प्रशंसनीय है। अगर यह सफलता पूर्वक लागू किया जाता है तो पारदर्शिता और कारोबार सुगमता के लिए राह खुलेगी।’ न्यायमूर्ति एमआर शाह और बीवीनागरत्ना ने जुलाई की शुरुआत में वित्त मंत्रालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), वस्तु एवं सेवा कर परिषद व अन्य को नोटिस जारी कर चार्टर्ड एकाउंटेट की ओर से दायर याचिका पर जवाब मांगा था।
