केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज अक्टूबर से शुरू होने वाले 2022-23 चीनी सत्र के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 15 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 305 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इससे चीनी मिलों द्वारा कारोबार को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी की मांग तेज हो सकती है।गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के मुताबिक एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जो चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को भुगतान करना होता है। वहीं एमएसपी चीनी की बिक्री का न्यूनतम बिक्री मूल्य होता है, जिससे उन्हें अपना उत्पादन लागत निकालने में मदद मिलती है।आज के मंत्रिमंडल के फैसले के मुताबिक 305 रुपये प्रति क्विंटल एफआरपी मूल रिकवरी दर 10.25 प्रतिशत से जुड़ी हुई है। रिकवरी दर चीनी की वह मात्रा होती है, जो गन्ने से मिलती है और गन्ने से ज्यादा मात्रा में चीनी मिलने से बाजार में उसका ज्यादा मूल्य मिलता है।वहीं इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) ने खाद्य सचिव को लिखे एक पत्र में कहा है कि चीनी की एमएसपी में बढ़ोतरी किए बगैर गन्ने के एफआरपी में वृद्धि से चीनी मिलों पर बोझ बढ़ेगा और इससे मिलें वैश्विक बाजार में गैर प्रतिस्पर्धी हो जाएंगी। आईएसएमए ने कहा है कि 2019 से जहां गन्ने के एफआरपी में करीब 30 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है, वहीं चीनी का एमएसपी 31 रुपये किलो पर यथावत बना हुआ है।
