गेहूं के दाम पर काबू पाने के लिए सरकार कई कदमों पर कर सकती है विचार
पिछले कुछ सप्ताह से हो रही है बढ़ोतरी, दरें कम करने के लिए सरकार तत्पर
संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली August 04, 2022
गेहूं की कीमत में पिछले कुछ सप्ताह से बढ़ोतरी हो रही है। कारोबारियों और बाजार से जुड़े लोगों का मानना है कि दरें कम करने के लिए सरकार कई कदम उठाने को बाध्य हो सकती है। उनका कहना है कि इसमें अन्य विकल्पों के साथ आयात शुल्क में कमी करना भी शामिल है, जिससे दक्षिण भारत में सस्ते गेहूं की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
हालांकि अभी इस तरह की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बाजार हिस्सेदारों को उम्मीद है कि कुछ कदमों से यह सुनिश्चित करने की कवायद होगी कि त्योहारों के महीनों में आटे का भाव बहुत ज्यादा न बढ़े, जो अगस्त से शुरू हो रहा है। भारत गेहूं के आयात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाता है।सरकार द्वारा निजी कारोबारियों को केंद्रीय पूल से कुछ अतिरिक्त गेहूं दिए जाने और ज्यादा गेहूं रखने पर लगाम लगाने जैसे कदम भी उठाए जा सकते हैं, अगर कीमतें काबू में नहीं आतीं।
बहरहाल बाजार के जानकारों का कहना है कि अगर आयात शुल्क खत्म कर दिया जाता है, तब भी बाजार की मौजूदा वैश्विक स्थिति को देखते हुए कोई बड़ी मदद मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि भारत में पहुंचने वाले गेहूं की कीमत करीब 3,000 रुपये प्रति क्विंटल होगी, जबकि इस समय दक्षिण भारत में बिकने वाले भारतीय गेहूं की अधिकतम कीमत करीब 2,700 से 2,750 रुपये प्रति क्विंटल है।
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस समय आयात शुल्क कम करने का कोई मतलब नहीं बनता। घरेलू गेहूं की कीमत अभी भी वैश्विक बाजारों की तुलना में कम है, लेकिन भविष्य कौन जानता है। रूस और यूक्रेन ने भंडारित गेहूं की आवाजाही को अनुमति दे दी है। अमेरिका में जोरदार फसल होने की उम्मीद है। ऐसे में वैश्विक कीमत में कमी आने की संभावना है, जिससे कीमत में अंतर कम हो जाएगा।’
उन्होंने कहा कि अगर आयात शुल्क अभी खत्म कर दिया जाता है तो भारत में महज 5 से 10 लाख टन गेहूं भारत में आ सकता है, जो तमिलनाडु के तूतीकोरिन जैसे दक्षिण भारतीय इलाकों में आएगा, जिससे आटे के भाव में कमी आ सके। दरअसल दक्षिण भारत के फ्लोर मिलों का एक प्रतिनिधिमंडल खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अगले कुछ सप्ताह में मिलने वाला है, जो अपनी समस्याओं से अवगत कराएगा।
अगर आयात की अनुमति दे दी जाती है तो मात्रा के मुताबिक आयात ज्यादा नहीं होगा, लेकिन इससे कुछ सवाल जरूर उठेंगे कि भारत अभी कुछ महीने पहले डींगे हांक रहा था कि वह ‘पूरी दुनिया को खिलाएगा’ और अब उसे आयात करना पड़ रहा है। देश के प्रमुख बाजारों में पिछले सप्ताह गेहूं की कीमत 23,547 रुपये प्रति टन के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। हाल के न्यूनतम मूल्य स्तर की तुलना में यह 12 प्रतिशत कम है। सरकार ने 14 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद कीमतें कम हुई थीं।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मांग बढ़ने और आपूर्ति कम होने की वजह से दाम बढ़ रहे हैं क्योंकि लू चलने की वजह से गेहूं की फसल खराब हो गई थी। केंद्र ने पिछले कुछ महीनों के दौरान गेहूं निर्यात पर कई व्यवधान लगा दिए हैं, जिससे कि कीमत पर काबू पाई जा सके और यह सुनिश्चित हो सके कि दाम बढ़ने से रातों रात पैसे कमाने वाले व्यापारियों पर काबू पाया जा सके और वे अतिरिक्त मात्रा में देश से निर्यात न कर सकें।
भारत के खाद्य मंत्रालय के मुताबिक भारत ने अप्रैल 2022 में करीब 95,167 टन आटे का निर्यात किया है, जो अप्रैल, 2021 में 26,000 टन था। इसमें करीब 267 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। बहरहाल वित्त वर्ष 22 में भारत ने रिकॉर्ड 70 लाख टन से ज्यादा गेहूं का निर्यात किया है, जो 2.12 अरब डॉलर का था। मूल्य के हिसाब से देखें तो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह 274 प्रतिशत ज्यादा है।
लेकिन आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक वित्त वर्ष 23 में प्रतिबंध के वक्त तक करीब 45 लाख टन गेहूं के निर्यात सौदे हुए थे। इसमें से अप्रैल 2022 तक 14.7 लाख टन गेहूं भेजा जा चुका था, जबकि अप्रैल 2021 में करीब 2.4 लाख टन गेहूं भेजा गया था।
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