अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने की चिंता से डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट आई है। डीलरों का कहना है कि इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए निवेशकों ने डॉलर की सुरक्षा पर जोर दिया है। घरेलू मुद्रा को डॉलर के मुकाबले दबाव का सामना करना पड़ा है, क्योंकि निर्यातकों ने बुधवार को रुपये में कमजोरी को देखते हुए डॉलर में खरीदारी को बढ़ावा दिया। डॉलर के मुकाबले रुपया 79.16 पर बंद हुआ, जबकि मंगलवार को यह आंकड़ा 78.71 पर था। 2022 में अब तक, रुपये में डॉलर के मुकाबले 6 प्रतिशत की कमजोरी आई है। 6 प्रमुख प्रतिस्पर्धी मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का मापक अमेरिकी डॉलर सूचकांक बुधवार को 3.30 बजे 106.09 पर था, जबकि मंगलवार को समान समय पर यह 105.55 पर था।कारोबारियों का कहना है कि जुलाई में नए रिकॉर्ड ऊंचे मासिक व्यापार घाटे के आंकड़े से भी घरेलू मुद्रा बाजार में धारणा पर प्रभाव पड़ा। मंगलवार को कारोबार समाप्त होने के बाद जारी आंकड़े से पता चलता है कि भारत का व्यापार घाटा जुलाई में 31 अरब डॉलर पर था, जो जून में 26.18 अरब डॉलर था। भारत का व्यापार घाटा फरवरी के आखिर में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से वैश्विक जिंस कीमतों में आई भारी तेजी की वजह से 2022 में दबाव में रहा है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज रिसर्च के विश्लेषक दिलीप परमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'रुपये ने चार दिन की तेजी पर विराम लगा दिया और ऊंचे व्यापार घाटे के आंकड़ों और डॉलर के लिए अच्छी मांग की वजह से अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले ज्यादा गिरावट दर्ज की। कारोबारियों ने अमेरिका-चीन तनाव से बढ़ने वाले जोखिमों की वजह से रुपये के मुकाबले डॉलर पर ज्यादा ध्यान दिया है।' उन्होंने कहा, 'हाजिर डॉलर/रुपया भाव आगामी दिनों में ऊपर रहने की संभावना है और उसे 79.30 से 79.60 के दायरे में प्रतिरोध मिलेगा, जबकि 79.495 का ताजा बॉटम मजबूत सपोर्ट बन गया है।' चीन द्वारा पेलोसी के दौरे की प्रतिक्रिया के तौर पर सैन्य तैनाती की घोषणा कर दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिससे बड़े बैंकों को डॉलर खरीदने के लिए आगे आना पड़ा और वैश्विक निवेशकों द्वारा भारतीय परिसंपत्तियों की बिक्री की आशंका बढ़ी है।आईएफए ग्लोबल के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी अभिषेक गोयनका ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'आज डॉलर की खरीदारी में भारी इजाफा दर्ज किया गया और रुपये में कमजोरी देखने को मिली। लेकिन रुपये में किसी तरह की गिरावट बिकवाली के लिए अवसर है। घबराहट में गिरावट का समय समाप्त हो गया है।' 19 जुलाई को 80.06 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक गिरने के बाद रुपया फिर से मजबूत हुआ था, क्योंकि अमेरिका में मंदी ने फेडरल रिजर्व द्वारा दर वृद्धि की रफ्तार धीमी रखने की संभावना मजबूत बना दी है।
