एयरटेल की 5जी सेवा इसी महीने से | |
उपकरण विनिर्माताओं संग 5जी नेटवर्क के लिए किया करार | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली, 08 04, 2022 | | | | |
भारती एयरटेल 22 सर्कलों में इसी महीने से 5जी नेटवर्क बनाना शुरू करने जा रही है। कंपनी ने इसके लिए आज एरिक्सन, नोकिया और इस मैदान की माहिर कोरियाई कंपनी सैमसंग के साथ मल्टी-वेंडर करार किया।
एयरटेल ने यह घोषणा बहुप्रतीक्षित 5जी नीलामी खत्म होने के दो दिन बाद की है। इस नीलामी में सरकार को 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक मिले हैं। एयरटेल ने 19,868 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 43,084 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें 3.5 गीगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड शामिल हैं, जो 5जी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। नीलामी में 24,740 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 88,078 करोड़ रुपये के साथ जियो ने सबसे बड़ी बोली लगाई।
एयरटेल के प्रबंध निदेशक और सीईओ गोपाल विट्टल ने कहा, 'यह घोषणा करते हुए हमें खुशी हो रही है कि एयरटेल अगस्त में 5जी सेवाओं का काम शुरू कर देगी। कई साझेदार होने से एयरटेल तेज रफ्तार, कम लेटेंसी और बड़ी डेटा हैंडलिंग क्षमता के साथ 5जी सेवाएं शुरू कर पाएगी। इससे उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव मिलेगा और एंटरप्राइज तथा औद्योगिक ग्राहकों को 5जी के नए इस्तेमाल तलाशने में मदद मिलेगी।'
सैमसंग ने अभी तक केवल रिलायंस जियो के साथ उसका 4जी नेटवर्क बनाने के लिए काम किया है। पहली बार वह किसी अन्य दूरसंचार कंपनी के साथ काम करने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक सैमसंग ने पंजाब और कोलकाता सर्कल हासिल किए हैं, जिनमें 4जी नेटवर्क चीनी कंपनी जेडटीई ने बनाया था। सरकार ने मौजूदा नीति के तहत चीन की दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं को 5जी बुनियादी ढांचे की स्थापना में भागीदारी की मंजूरी नहीं दी है।
भारती एयरटेल की पुरानी साझेदार एरिक्सन ने 11 सर्कल हासिल किए हैं। तमिलनाडु और चेन्नई को एक सर्कल माना जाता है वरना उसके पास 12 सर्कल होते। एरिक्सन ने वे सभी सर्कल बरकरार रखे हैं, जिनमें उसने 4जी नेटवर्क स्थापित किया था।
नोकिया ने कहा कि इस ठेके की एयरटेल के नेटवर्क में 45 फीसदी हिस्सेदारी है, जो 9 सर्कल के बराबर होने का अनुमान है। इन सर्कलों में नोकिया ने 4जी नेटवर्क स्थापित किया था।
हालांकि ठेके की कीमत का खुलासा नहीं किया गया है मगर विश्लेषकों का अनुमान है कि देश भर में 5जी नेटवर्क बनाने पर अगले कई साल में कुल निवेश एक लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। इसमें स्पेक्ट्रम पर हुआ खर्च शामिल नहीं है। इस धनराशि का बड़ा हिस्सा नेटवर्क, उपरकरण और रेडियो पर खर्च होगा।
चीनी कंपनियों को इससे बाहर रखा गया है, जिनकी 4जी उपकरणों के बाजार में 20 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में दूरसंचार कंपनियों को तीन दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं के अलावा दूसरे वेंडर तलाशने थे। एयरटेल के लिए सैमसंग स्पष्ट पसंद थी। कई दूरसंचार कंपनियों ने विभिन्न साझेदारों के साथ मिलकर ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क स्थापित करने के बारे में विचार किया था, लेकिन एयरटेल के सूत्रों ने कहा कि इस पर अभी काम चल रहा है।
रिलायंस जियो ने 4जी के लिए केवल सैमसंग के साथ गठजोड़ किया था। लेकिन अब यह एरिक्सन और नोकिया के साथ भी बातचीत कर रही है। जियो ने सैमसंग और एरिक्सन के साथ मिलकर 5जी परीक्षण किए हैं। अगर यूरोपीय दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियां कारोबार में हिस्सा हासिल करने में सफल रहती हैं तो यह उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
यह देखना रोचक होगा कि वोडाफोन इंडिया कैसे करार करती है क्योंकि उसके बहुत से सर्कलों में चीनी कंपनियां हैं।
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