महामारी से निपटने के लिए सीरम का नया संयंत्र | एसआईआई इन दिनों मांजरी में एक प्लग-ऐंड-प्ले टीका बनाने के संयंत्र का निर्माण कर रही है। | | सोहिनी दास / नई दिल्ली August 03, 2022 | | | | |
॰ मांजरी परिसर में 300,000 वर्ग फुट के महामारी संयंत्र पर काम चल रहा है
॰ प्लग-ऐंड-प्ले संयंत्र में सभी टीकों के प्रौद्योगिकी मंच होंगे
॰ पूनावाला ने सभी विश्व नेताओं और देशों को इस संयत्र की सेवाएं देने की पेशकश की है
॰ इस संयंत्र का पहला टीका एचपीवी का होगा
॰ इसके अलावा मलेरिया, मेनिन्जाइटिस आदि टीके पर भी काम हो रहा है
दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के पुणे के पूर्वी इलाके में हडपसर और मांजरी में मौजूद 100 एकड़ के विशाल परिसर के अंदर ड्राइव करते वक्त एक बात साफतौर पर समझ आती है कि यहां काम करने वालों की नजरों में अनुशासन और गर्व का भाव है। इस कंपनी ने न केवल भारत के राष्ट्रीय कोविड 19 टीकाकरण कार्यक्रम में इस्तेमाल की जाने वाली लगभग 80 प्रतिशत खुराक की आपूर्ति की है बल्कि अब अगली बड़ी महामारी से निपटने के लिए विशाल संयंत्र केंद्र पर भी इसकी नजर है।
एसआईआई इन दिनों मांजरी में एक प्लग-ऐंड-प्ले टीका बनाने के संयंत्र का निर्माण कर रही है। यह परिसर हडपसर के सामने ही है और दोनों के बीच एक 800 मीटर लंबी ऊंची सड़क जाती है। इस संयंत्र के जरिये किसी भी महामारी की स्थिति में जरूरतमंद देश में टीके के खुराक की तत्काल आपूर्ति की जा सकती है। महामारी से पहले एसआईआई में सालाना 1.5 अरब टीके की खुराक बनाने की क्षमता थी और कंपनी लगभग 1.2 अरब खुराक बना रही थी जिसका दायरा पिछले दो वर्षों में बड़े पैमाने पर बढ़ गया।
नए दौर के एसआईआई के पीछे कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला का दिमाग है और उनका कहना है कि वर्ष 2021 के अंत तक हम एक महीने में 25 करोड़ टीके की खुराक बना रहे थे। हालांकि वह इससे भी और बड़ा सपना देख रहे हैं। अब एसआईआई की नजर सालाना 4 अरब खुराक बनाने की क्षमता पर है, जिनमें से लगभग 2 अरब सालाना खुराक, कंपनी के नए महामारी संयंत्र से मिलेगी।
मांजरी में अपने आलीशान कार्यालय में बैठे हुए पूनावाला उत्साहित नजर आते हैं। इस दफ्तर के बाहर दो रॉल्स रॉयस और एक बड़ा विमान खड़ा है। उनका कहना है कि उन्होंने सभी विश्व नेताओं और कई देशों को टीकों का भंडारण करने या किसी भी उत्पाद की आवश्यकता के लिए इस 300,000 वर्ग फुट महामारी के सुविधा केंद्र की पेशकश की है।
पूनावाला का कहना है, ‘इसे महामारी के लिए एक संयंत्र के तौर पर विशेष रूप से डिजाइन किया गया है और यह विभिन्न प्रौद्योगिकियों का प्रबंधन कर सकती है। यही वह जगह है जहां से हमारी अतिरिक्त 2 अरब की वार्षिक टीके की मिलेगी। इस संयंत्र का पहला उत्पाद एचपीवी वैक्सीन होगा।’ एसआईआई अब एचपीवी टीके को एक पुरानी साइट पर बनाएगी और इसे अगले साल महामारी संयंत्र से बाहर कर देगी।
41 वर्षीय पूनावाला को ऐसी विशाल संयंत्रों का निर्माण करने के लिए कहां से प्रेरणा मिलती है? उन्हें लगता है कि भारत में दूसरी लहर के दौरान जो हुआ वह फिर कभी नहीं होना चाहिए। दुनिया का हर देश टीकों के लिए होड़ में लगा हुआ था और टीके की आपूर्ति के लिए सबकी निगाहें भारत की ओर थीं। वह कहते हैं, ‘उन्हें स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए निर्यात रोकना पड़ा।’
पूनावाला कहते हैं, 'मैंने तय किया कि मैं फिर से उस स्थिति में नहीं आना चाहता हूं। मैं किसी अफ्रीकी देश या दक्षिणी अमेरिकी देश और भारत में से किसी एक को नहीं चुनना चाहता हूं। हर किसी के लिए पर्याप्त टीके होने चाहिए। यही वजह है कि हमें उसके लिए इस समय हजारों करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।'
पूनावाला यह बात पूरे दृढ़ निश्चय के साथ ऐसे समय कह कह रहे हैं, जब उनकी मौजूदा क्षमता का 50 फीसदी से कम उपयोग हो रहा है। उन्हें भरोसा है कि उनके आगामी टीकों से क्षमता का इस्तेमाल बढ़ जाएगा। वह कहते हैं, 'प्रकोप और किसी क्षेत्र विशेष में बीमारियां उभरती रहेंगी। दुनिया को हमेशा उसकी जरूरत होगी, जो इसे कम लागत में बना सके। '
वह कहते हैं कि एसआईआई निजी कंपनी होने के नाते ही उसे बढ़त हासिल है। वह कहते हैं, 'हमें केवल लाभ पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। हम कुछ अन्य उत्पादों में ब्रेक ईवन पर आ सकते हैं और अन्य उत्पादों की आपूर्ति कर सकते हैं...यह असल में हमारे लिए मायने नहीं रखता है।'
एसआईआई ने पिछले पांच साल के दौरान करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। महामारी के दौरान राजस्व 80 से 90 करोड़ डॉलर के सामान्य स्तर से 4-5 गुना बढ़ गया है। इससे उनके पास भविष्य की खातिर निवेश के लिए धन जमा हो गया है।
इस समय कोविशील्ड की करीब 20 करोड़ खुराक मांजरी के शीतभंडारगृह में पड़ी हैं और 2-3 करोड़ खुराकों की अगस्त से मियाद खत्म होने लगी है।
पैकेजिंग संयंत्र में 20 से अधिक कर्मचारियों का एक समूह कोविशील्ड की खुराकों (जिनकी मियाद नवंबर में खत्म होने जा रही है) को बॉक्सों में तेजी से छांट रहा है। बूस्टर खुराक के नए अभियान से मांग में कुछ सुधार आया है और इसके नतीजतन एसआईआई की 5 से 10 करोड़ खुराक खराब होने से बच सकती हैं।
|