कभी भी खरीद सकते हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, वह भी डिस्काउंट पर | |
अजीत कुमार / नई दिल्ली 08 01, 2022 | | | | |
सोने में निवेश की बात होते ही पहले ध्यान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) पर जाता है। जानकार भी सोने में निवेश के लिहाज से पहली प्राथमिकता सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को देते हैं। लेकिन ये बॉन्ड सब्सक्रिप्शन के लिए हमेशा उपलब्ध नहीं होते। मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2022-23 के लिए पहली सीरीज की बिक्री 24 जून को खत्म हो गई जबकि निवेशकों को 28 जून को बॉन्ड जारी भी कर दिए गए। फिलहाल एसजीबी सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध नहीं है। आरबीआई के अनुसार इस वित्त वर्ष के लिए दूसरी सीरीज 22 से 26 अगस्त के बीच सब्सक्रिप्शन के लिए उपलब्ध होगी और बॉन्ड 30 अगस्त को जारी किए जाएंगे।
लेकिन कई ऐसे निवेशक हैं जिन्हें यह लग रहा है कि शायद आने वाले दिनों में कीमतों में तेजी न आ जाए। हालांकि ज्यादातर जानकार यह मान रहे हैं कि कीमतें शॉर्ट टर्म यानी दो तीन महीने तक सीमित दायरे में रह सकती है। एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज की असिस्टेंट वाइस-प्रेसिडेंट (रिसर्च कमोडिटी) वंदना भारती के मुताबिक शॉर्ट टर्म में सोने में थोड़ी तेजी आ सकती है। लेकिन ऐसे निवेशकों को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्हें दूसरी सीरीज तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। वे सेकेंडरी मार्केट यानी स्टॉक एक्सचेंज पर जाकर एसजीबी खरीद सकते हैं। डीमैट फॉर्म में बॉन्ड को लेने वाले कभी भी इसे स्टॉक एक्सचेंज पर बेच सकते हैं। इस वजह से ये बॉन्ड ट्रेडेबल हैं यानी ट्रेड के लिए सेकेंडरी मार्केट में उपलब्ध हैं।
सेकेंडरी मार्केट से खरीद
सेकेंडरी मार्केट पर बॉन्ड तो सोने की मौजूदा कीमतों से 5 से 7 फीसदी कम पर मिल जाएगा। क्योंकि लिक्विडिटी की कमी की वजह से यहां कीमतें सामान्यतया डिस्काउंट पर होती है। खासकर वैसे सीरीज जो हाल ही में लॉन्च हुए हैं या जिनके मैच्योर होने में अभी पांच साल या इससे ज्यादा का वक्त बचा है, साथ ही जो कम इश्यू प्राइस पर जारी हुआ हो। वहीं वैसे सीरीज जिनके मैच्योर होने में दो साल से कम वक्त बचा है और जिन्हें अधिक इश्यू प्राइस पर जारी किया गया हो वहां डिस्काउंट कम है। एनएसई पर शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद किसी एसजीबी की सबसे कम लास्ट ट्रेडिंग प्राइस 4,731 रुपये थी जबकि गोल्ड का बाजार भाव 5,150 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब है।
जानकारों के अनुसार डिस्काउंट की सबसे बड़ी वजह सेकेंडरी मार्केट में लिक्विडिटी की कमी तो है ही, एक और बडी वजह इस बॉन्ड का यील्ड है। ऑगमोंट गोल्ड फॉर ऑल की रिसर्च हेड रेनिशा चेनानी कहती हैं कि एसजीबी को सेकेंडरी मार्केट से खरीदना हमेशा बेहतर होता है क्योंकि कमजोर प्राइस डिस्कवरी मेकैनिज्म, लिक्विडिटी की कमी और यील्ड की वजह से यहां यह डिस्काउंट पर मिल जाता है।
गौरतलब है कि एसजीबी पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट/कूपन रेट का प्रावधान है। लेकिन यह इंटरेस्ट इश्यू प्राइस पर मिलता है न कि सोने की मौजूदा कीमतों पर। मान लीजिए चार-पांच साल पहले अगर किसी को एसजीबी 3,000 रुपये के इश्यू प्राइस पर मिला तो उसे इंटरेस्ट सोने की मौजूदा कीमत यानी 5,100 रुपये प्रति ग्राम पर नहीं मिलेगा बल्कि इश्यू प्राइस यानी नॉमिनल वैल्यू के हिसाब से ही मिलेगा। इस तरह से यील्ड घटकर 1-1.5 फीसदी हो जाता है।
सेकेंडरी मार्केट में एसजीबी के ट्रेडिंग वॉल्यूम से इसे समझते हैं। फिलहाल 11 अगस्त 2020 को जारी किए गए बॉन्ड SGBAUG28V में ट्रेडिंग वॉल्यूम सबसे ज्यादा है। 11 अगस्त 2028 को मैच्योर होने वाला यह बॉन्ड 5,334 रुपये के इश्यू प्राइस पर जारी हुआ था, जबकि इसका लास्ट ट्रेडिंग प्राइस 4,885 रुपये है। यह अब तक के सबसे ज्यादा इश्यू प्राइस पर जारी होने वाला एसजीबी है। सर्वाधिक इश्यू प्राइस की वजह से इस बॉन्ड पर इंटरेस्ट/कूपन रेट भी सबसे ज्यादा यानी 66.68 रुपये प्रति छह महीने देय है। एसजीबी पर इंटरेस्ट हर छह महीने पर मिलता है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 63,49,781 यूनिट्स के साथ इस बॉन्ड की बिक्री भी अब तक की सर्वाधिक रही है। बेहतर यील्ड के साथ साथ इस बॉन्ड की ज्यादा बिक्री की वजह से ही इस बॉन्ड में ट्रेडिंग वॉल्यूम सबसे ज्यादा है। शुक्रवार को इस बॉन्ड में कुल 1,344 यूनिट्स का कोराबार हुआ।
सलाह
लेकिन सिर्फ डिस्काउंट की वजह से एसजीबी को सेकेंडरी मार्केट से खरीदने का निर्णय नहीं लिया जा सकता। अगर आप मैच्योरिटी तक इसे होल्ड कर सकते हैं तभी इसे सेकेंडरी मार्केट से खरीदें। वरना अगर खरीदने के बाद मैच्योरिटी से पहले बेच देते हैं तो आपको भी डिस्काउंट पर बेचना होगा। साथ में आपको कैपिटल गेन टैक्स भी चुकाना होगा। ट्रेडेबल बॉन्ड खरीदने पर कैपिटल गेन टैक्स में छूट मिलेगी, बशर्ते आप मैच्योरिटी (8 साल) तक होल्ड करते हैं।
एसआईपी जैसे भी खरीद सकते हैं
स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड के लिए उपलब्ध सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में लिक्विडिटी काफी कम होती है। इसलिए अगर आप ज्यादा वॉल्यूम में खरीदना चाहेंगे तो डिस्काउंट या तो काफी कम हो जाएगा या ऑफर प्राइस मार्केट प्राइस के बराबर आ जाएगा। इसलिए आप कम वॉल्यूम में यानी कुछ यूनिट ही खरीदें। हां, आप एसआईपी की तर्ज पर हर सीरीज में थोड़ा-थोड़ा करके यानी कुछ-कुछ यूनिट भी खरीद सकते हैं। इससे आपको एवरेजिंग का फायदा भी हो जाएगा।
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