निजी क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ अप्रैल-जून तिमाही (2022-23) में 47.2 फीसदी बढ़ा, जिसकी वजह प्रावधान में आई तेज गिरावट है। क्रेडिट की मजबूत रफ्तार आदि के चलते इन बैंकों की शुद्ध ब्याज आय इस अवधि में सालाना आधार पर 16.9 फीसदी बढ़ी जबकि तिमाही आधार पर इसमें 3.7 फीसदी का इजाफा हुआ। बीएस रिसर्च की तरफ से 14 सूचीबद्ध निजी बैंकों के विश्लेषण से यह खुलासा हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने जुलाई बुलेटिन में कहा कि बैंकों ने बाह्य बेंचमार्क उधारी दर जून में 50 आधार अंक बढ़ाई। 28 देसी बैंकों ने भी एक साल की सीमांत लागत पर आधारित उधारी दरों में जून के दौरान 5 से 50 आधारअंकों की बढ़ोतरी की। तिमाही के दौरान बॉन्ड बाजारों में उतारचढ़ाव देखने को मिला, जिसका कारण महंगाई को थामने के लिए केंद्रीय बैंकों के कदम थे। आरबीआई की तरफ से तिमाही में रीपो दरों में 90 आधार अंकों का इजाफा किया गया, जिसके कारण प्रतिफल सख्त हुआ और इस वजह से ट्रेजरी का योगदान नाममात्र या फिर नगण्य रहा। इसके परिणामस्वरूप अन्य आय पहली तिमाही में सालाना आधार पर 4 फीसदी घटी जबकि क्रमिक आधार पर उसमें 14.3 फीसदी की गिरावट आई। अन्य आय में ट्रेजरी राजस्व का खासा योगदान होता है। तिमाही के दौरान प्रावधान सालाना आधार पर 56 फीसदी घटा, जिससे बैंकों का मुनाफा मजबूत रहा। परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार से प्रावधान में गिरावट को सहारा मिला। सकल गैर-निष्पादित आस्तियां जून के आखिर में 11 फीसदी घटकर 1.65 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो एक साल पहले 1.9 लाख करोड़ रुपये रही थी। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-समूह (बैंकिंग रिसर्च) नितिन अग्रवाल ने कहा, पहली तिमाही में बैंकों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा। तिमाही में ट्रेजरी में उतारचढ़ाव देखने को मिला। कर्ज की कीमत दोबारा तय करने से लाभ, शुद्ध ब्याज आय और मार्जिन में सुधार की उम्मीद है। साथ ही ट्रेजरी आय में उतारचढ़ाव भी बाजार प्रतिफल के स्थिर होने से दुरुस्त होने की संभावना है। बैंकों ने हालांकि उधारी दर बढ़ाने में देर नहीं की, लेकिन जमा दरों पर इसका प्रसार अपेक्षाकृत सुस्त रहा है। जमा दरें क्रेडिट की मांग और बैंकिंग सिस्टम में नकदी की स्थिति पर निर्भर होती है। सावधि जमाओं की बात करें तो 33 बैंकों में से 25 ने सावधि जमा दरों में 3 से 38 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। समीक्षा के दायरे वाले निजी बैंकों ने उधारी में 18.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की, जो उस दर से ज्यादा है जिस पर बैंकिंग सिस्टम की लोनबुक का जून में विस्तार हुआ (14.4 फीसदी)। क्रेडिट के उठाव की रफ्तार 2021-22 की पहली तिमाही में काफी सुस्त रही थी क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर से मांग को झटका लगा। जून के आखिर में निजी क्षेत्र के बैंकों की जमाएं सालाना आधार पर 14 फीसदी बढ़ी, जो बैंकिंग सिस्टम की बढ़त की रफ्तार 9.8 फीसदी से ज्यादा है।
