अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए लगातार दूसरे महीने ब्याज दरों में 75 आधार अंक का इजाफा किया, जिसके बाद आज भारतीय शेयर बाजार में अच्छी तेजी देखी गई। माना जा रहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक 100 आधार अंक का इजाफा करेगा मगर 75 आधार अंक इजाफे के कारण निवेशकों में मौद्रिक सख्ती नहीं बरते जाने की उम्मीद जगी और उनका जोखिम लेने का हौसला बढ़ गया। इसी हौसले के कारण सेंसेक्स 1,041 अंक या 1.9 फीसदी बढ़कर 56,858 पर बंद हुआ, जो पिछले दो महीने में एक दिन की सबसे अधिक तेजी है। निफ्टी भी 288 अंक या 1.7 फीसदी चढ़कर 16,929 पर बंद हुआ। दोनों सूचकांक 2 मई के बाद के अपने उच्चतम स्तर पर बंद हुए। फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल के बयान से भी निवेशकों का मनोबल बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी नहीं है और दरों में बढ़ोतरी आगे के आंकड़ों पर निर्भर करेगी। अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बाजार पर फेड चेरयमैन के बयान का सकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने कहा था कि दरों में बढ़ोतरी आंकड़ों पर निर्भर करेगी और आंकड़े आने में समय लगता है। ऐसे में फेड एक बार और दरें बढ़ा सकता है और उसका असर देख सकता है। उम्मीद है कि अक्टूबर के बाद दरों में बढ़ोतरी बंद हो सकती है। बाजार में कई नकारात्मक खबरें हैं जिससे शॉर्ट कवरिंग भी हुई है।’ निवेशकों की नजर इस पर है कि फेडरल रिजर्व दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी करता है या मुद्रास्फीति के दबाव में उसे अचानक दरें बढ़ानी पड़ती हैं। बढ़ती महंगाई के कारण फेडरल रिजर्व और दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीतियां सख्त बनाने पर मजबूर होना पड़ा है। हाल ही में यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने करीब एक दशक से ज्यादा समय बाद ब्याज दर में 50 आधार अंक का इजाफा किया था। जून में अमेरिका में मुद्रास्फीति 9.1 फीसदी पर पहुंच गई थी जो चार दशक में महंगाई का सबसे ऊंचा स्तर है। कीमतों में वृद्धि से कंपनियों की कमाई भी घट रही है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव देखा जा रहा है। उच्च मुद्रास्फीति के बीच फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में 100 आधार अंक की बढ़ोतरी की आशंका से दुनिया भर के बाजारों में बिकवाली हावी हो गई थी। भारतीय बाजार भी 17 जून को घटकर 13 महीने के निचले स्तर पर आ गया था। मगर उसके बाद से निफ्टी करीब 11 फीसदी चढ़ चुका है और विदेशी निवेशकों की बिकवाली भी थोड़ी कम हुई है। जुलाई में विदेशी निवेशकों ने 1,462 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि जून में 50,202 करोड़ रुपये और मई में 39,993 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई थी। अलबत्ता आज विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1,638 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं और घरेलू संस्थागत निवेशक भी 600 करोड़ रुपये के शुद्ध लिवाल रहे। विशेषज्ञों का कहना है अगर मुद्रास्फीति और दरों में बढ़ोतरी से संबंधित अनुमान गलत साबित हुए तो बाजार में बिकवाली फिर बढ़ सकती है। अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘मुद्रास्फीति अब भी चिंता का सबब है। फेडरल रिजर्व द्वारा 100 आधार अंक की बढ़ोतरी नहीं किए जाने से बाजार को बड़ी राहत मिली है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह तेजी लंबे समय तक बनी रहेगी।’ आर्थिक आंकड़ों के अलावा निवेशक मुद्रास्फीति और वृद्धि में नरमी का अंदाजा लगाने के लिए कंपनियों की आय पर भी ध्यान देंगे। सेंसेक्स शेयरों में सबसे ज्यादा 10.7 फीसदी की तेजी बजाज फाइनैंस में देखी गई। भारती एयरटेल के शेयर में लगातार दूसरे दिन सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
