निवेशक अब आला अधिकारियों के वेतन को लेकर कंपनियों के प्रस्ताव को अक्सर ठुकरा रहे हैं। वित्त वर्ष 2023 के पहले चार महीने में ऐसे पांच प्रस्ताव ठुकराए जा चुके हैं। यह जानकारी प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज इंडिया (आईआईएएस) के प्लेटफॉर्म एड्रियन के शेयरधारिता वोटिंग डेटा से मिली। ऐसे दो प्रस्ताव मल्टीप्लेक्लक्स शृंखला पीवीआर और डायरेक्ट टु होम कंपनी डिश टीवी इंडिया के हैं। चेन्नई के इक्विटास स्मॉल फाइनैंस बैंक ने भी प्रस्ताव ठुकराए जाने का सामना किया है, जिसके बारे में कंपनी ने स्पष्ट किया कि यह मतदान प्रक्रिया के दौरान गलती की वजह से हुआ। फ्यूचर कंज्यूमर के मामले में प्रस्ताव वापस ले लिए गए। पीवीआर के प्रवक्ता ने एक ईमेल संदेश में कहा, हम कंपनी प्रशासन के सर्वोच्च मानक आदि का अनुपालन करते हैं और वास्तविकता यह है कि प्रोत्साहन देने वाला प्रस्ताव पारदर्शी था और नामांकन व पारिश्रमिक समिति व निदेशक मंडल की सिफारिश के बाद उसे शेयरधारकों के सामने रखा गया था। कंपनी को प्रस्ताव के पक्ष में 64 फीसदी मत मिले लेकिन यह 75 फीसदी की जरूरी सीमा को पार नहीं कर पाया। रिकॉर्ड बताते हैं कि 51.51 फीसदी संस्थागत मत और 25.29 फीसदी अन्य गैर-प्रवर्तक मत प्रस्ताव के खिलाफ थे। पीवीआर के बयान में कहा गया है, कंपनी की समिति व बोर्ड ने सीएमडी व संयुक्त प्रबंध निदेशक के लिए विशेष प्रोत्साहन का प्रस्ताव रखा था, जो कंपनी को महामारी के दौर से बाहर निकालने और चुनौतीपूर्ण समय में भी कंपनी को बनाए रखने की उनकी क्षमता को देखते हुए रखा गया था। अन्य कंपनियों को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। वित्त वर्ष 22 में ऐसे आठ प्रस्ताव, वित्त वर्ष 21 में सात और वित्त वर्ष 20 में आठ प्रस्ताव खारिज हुए थे। मुख्य कार्याधिकारी और अन्य आला अधिकारियों की वेतन बढ़ोतरी के प्रस्ताव खारिज होने के मामले पहले के मुकाबले ज्यादा रहे हैं। कुछ और प्रस्तावों का भी विरोध हुआ है, लेकिन वे ठुकराए नहीं जा सके। लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप डेलिवरी को अपनी स्टॉक ऑप्शन योजना को मंजूरी के खिलाफ 21.68 फीसदी मत मिले। आईआईएएस के संस्थापक व प्रबंध निदेशक अमित टंडन के मुताबिक, इसकी एक वजह यह है कि निवेशक अब और समझदार हो गए हैं और ज्यादा जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। टंडन के मुताबिक, प्रस्ताव ठुकराया जाना इस वास्तविकता को भी प्रतिबिंबित कर सकता है कि निवेशक पारदर्शिता में इजाफा हुए बिना वेतन के स्तर में हो रही बढ़ोतरी को लेकर खुश नहीं हैं। निवेशक वेतन तय करने वाले मानकों को लेकर और सूचनाएं चाहते हैं। इनमें मार्जिन का लक्ष्य, भौगोलिक विस्तार या नरम मसले जैसे कि पर्यावरण आदि से जुड़े मसले कैसे संभाले गए, शामिल हो सकते हैं। टंडन के मुताबिक, भारत का बेंचमार्क दुनिया के अन्य इलाकों के मुकाबले पारदर्शी नहीं हैं। उन्होंने कहा, दुनिया भर में होने वाले डिस्क्लोजर भारत के मुकाबले ज्यादा हैं। एड्रियन डेटाबेस के आंकड़ों के विश्लेषण में वैसे शेयरधारकों के प्रतिशत पर भी नजर डाली गई, जिन्होंने मोटे तौर पर प्रस्ताव को ठुकरा दिया। हर साल वेतन प्रस्ताव खारिज किए जाने के मामले में औसत संख्या का ध्यान रखा गया। वित्त वर्ष 15 में यह 29.9 फीसदी था और वित्त वर्ष 2022 में यह 56.1 फीसदी पर पहुंच गया। इस साल अब तक के लिहाज से यह 36.1 फीसदी बैठता है। विशेष प्रस्ताव को खारिज करने के लिए शेयरधारकों के 25 फीसदी मत की दरकार होती है। सामान्य प्रस्ताव के लिए यह सीमा 50 फीसदी है। वित्त वर्ष 23 में खारिज पांचों विशेष प्रस्ताव थे। एनएसई में सूचीबद्ध 500 मूल्यवान कंपनियों के सूचकांक निफ्टी 500 कंपनियों में प्रवर्तकों के पास 50 फीसदी से ज्यादा शेयर हैं। इसका मतलब यह है कि ज्यादातर प्रस्ताव पास हो जाएंगे, अगर सभी संस्थागत निवेशक इसके विरोध में भी हों।
