भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एमपीसीआई) और बैंकों ने रुपे-यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर शुल्क का मोटा खाका खींच लिया है। पिछले हफ्ते हुई बातचीत में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) 2 फीसदी रखने पर सहमति बनी थी। इसमें से 1.5 फीसदी कार्ड जारी करने वाले बैंक के पास जाएगा और शेष (50 आधार अंक) रुपे तथा संबंधित इकाइयों को मिलेगा। इन इकाइयों में बैंक या एमस्वाइप या पेटीएम जैसी कंपनियां शामिल हो सकती हैं। 20 लाख रुपये तक सालाना कारोबार वाली इकाइयों में ऐसे लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, मगर उन पर एक बार में 2,000 रुपये से 5,000 रुपये तक का ही लेनदेन हो सकता है। मगर दिन में कितनी बार भी लेनदेन किए जा सकते हैं। यह खाका भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास भेजा जाएगा और सितंबर मध्य से रुपे-यूपीआई क्रेडिट कार्ड से लेनदेन शुरू हो जाएगा। आरबीआई ने पिछले महीने रुपे क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ने की घोषणा की थी, जिसके बाद से एमडीआर पर बातचीत चल रही थी। मामला इसलिए अटक रहा था क्योंकि डेबिट कार्ड से यूपीआई लेनदेन पर 2,000 रुपये तक एमडीआर नहीं लिया जाता मगर क्रेडिट कार्ड के लिए तो शुल्क जरूरी है। इसकी वजह यह भी है कि क्रेडिट कार्ड पर भुगतान के लिए बिना कुछ गिरवी रखे और बिना ब्याज के 45 दिन की मोहलत मिल जाती है। साथ ही तरलता भी बनाए रखनी होती है। शून्य एमडीआर रुपे डेबिट कार्ड का मतलब है कि उद्योग को इस शुल्क की भरपाई की जाएगी। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए शून्य एमडीआर के मुआवजे के तौर पर बैंकों को रकम चुकाने के लिए 1,300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। एमडीआर पर बातचीत में शामिल वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि करीब 55 फीसदी क्रेडिट कार्ड लेनदेन ऑनलाइन होते हैं और ये प्लेटफॉर्म एमडीआर चुका सकते हैं। बाकी लेनदेन स्टोरों में होते हैं, जिनमें से केवल 5 फीसदी लेनदेन ऐसे स्टोरों में होते हैं जिनका सालाना कारोबार 20 लाख रुपये तक है। इसलिए एमडीआर छोड़ने से जारीकर्ताओं को क्रेडिट कार्ड पर सालाना शुल्क से होने वाली कमाई से ज्यादा नुकसान हो जाएगा। उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि इस समय वीजा या मास्टरकार्ड को इस तरह की व्यवस्था की अनुमति नहीं दी गई है और न ही उनके साथ कोई प्रायोगिक योजना चलाने का प्रस्ताव है। अगर यह योजना कारगर होती है तो रुपे क्रेडिट कार्ड जारी करने में तेजी आएगी और छोटे मूल्य के लेनदेन भी बढ़ेंगे। फिलहाल करीब 7 करोड़ क्रेडिट कार्ड चलन में हैं, जिनमें से ज्यादातर हिस्सेदारी वीजा और मास्टरकार्ड की है। करीब 10 लाख रुपे क्रेडिट कार्ड चलन में होने का अनुमान है।
