त्योहारी सीजन से ठीक पहले कीमतों में आई गिरावट के बाद लोगों के बीच सोने की खरीदारी को लेकर उत्सुकता बढ़ने लगी है। फिलहाल सोने की घरेलू कीमत इस वर्ष (कैलेंडर) के निचले स्तर के करीब है। एमसीएक्स पर तो सोने का बेंचमार्क वायदा बीते हफ्ते 50 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम से नीचे चला गया। लेकिन उसके बाद कीमतों में थोड़ी रिकवरी हुई है और यह 50 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के थोडा ऊपर कारोबार कर रहा है। वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों में गिरावट हालांकि ज्यादा है। वैश्विक कीमतें पिछले हफ्ते 16 महीनों के निचले स्तर तक चला गया। फिलहाल यह 1,726 डॉलर प्रति औंस के आस-पास कारोबार कर रहा है। जानकारों के अनुसार, रुपये में लगातार गिरावट की वजह से घरेलू कीमतों में वैश्विक कीमतों की तुलना में कम गिरावट आई है। वहीं सरकार द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी में हालिया की गई बढ़ोतरी की वजह से भी देश में सोने की कीमत तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। ओरिगो ई-मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (रिसर्च) तरुण सत्संगी के अनुसार सोने की कीमत आने वाले दिनों में खासकर शार्ट-टर्म में नरमी के साथ दायरे में रह सकती है। निवेशकों को उनकी सलाह है कि वे हर गिरावट पर थोडा-थोडा कर खरीदें। लेकिन एकमुश्त खरीद से बचें क्योंकि कीमतों में और कमी की संभावना है। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक लोगों के लिए सोना खरीदने का यह सही समय है क्योंकि कीमतों में एक हद तक करेक्शन आ चुका है। अगर कीमतों को लेकर इस तरह के अनुमान हैं तो लोगों के लिए इस समय या आने वाले त्योहारी सीजन में सोना खरीदना शुभ हो सकता है। लेकिन लोगों के पास सोने के अलग-अलग फॉर्म में निवेश करने के विकल्प हैं। विकल्प के चयन से पहले उन्हें इस बात की जानकारी जरूर ले लेनी चाहिए कि आखिर जब आप सोना अलग-अलग फॉर्म में खरीदते हैं तो उस पर कैसे और कितना टैक्स लगता है? फिजिकल गोल्डजब आप सोना फिजिकल फॉर्म में यानी ज्वेलरी (गहने), सिक्के, बार (बिस्किट) खरीदते हो तो टैक्स होल्डिंग पीरियड (खरीदने के दिन से लेकर बेचने के दिन तक की अवधि) के आधार पर लगता है। नियमों के अनुसार अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदने के 36 महीने से पहले बेच देते हैं तो होने वाली कमाई यानी लाभ को शार्ट-टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) माना जाएगा। जो आपके ग्रॉस टोटल इनकम में जोड़ दिया जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। लेकिन अगर आप खरीदने के 36 महीने बाद बेचते हैं तो लाभ यानी रिटर्न पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ 20 फीसदी (सेस और सरचार्ज मिलाकर 20.8 फीसदी) लांग-टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) टैक्स देना होगा। इंडेक्सेशन के तहत महंगाई के हिसाब से पर्चेज प्राइस को बढा दिया जाता है। जिससे रिटर्न कम हो जाता है और टैक्स में बचत होती है। वहीं फिजिकल गोल्ड खरीदने के समय गोल्ड के वैल्यू और मेकिंग चार्ज के ऊपर 3 फीसदी जीएसटी भी देना होता है। वहीं, अगर अपने पास उपलब्ध सोने से ज्वेलरी बनवाते हैं या अपने पास की यानी पुरानी ज्वेलरी से दूसरी यानी नई ज्वेलरी रीडिजाइन करवाते हैं तो इसके एवज में दिए जाने वाले मेकिंग चार्ज पर 5 फीसदी जीएसटी का प्रावधान है। पेपर गोल्ड (गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्यूचुअल फंड) पेपर गोल्ड में निवेश के इन सभी (उपरोक्त) विकल्पों पर रिडेम्पशन के समय फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड लेकिन पेपर गोल्ड में निवेश के एक अन्य बेहद प्रचलित विकल्प यानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स नियम अलग हैं। नियमों के अनुसार अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी यानी 8 साल तक होल्ड करते हैं तो रिडेम्प्शन के समय आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन अगर आपने मैच्योरिटी पीरियड से पहले रिडीम किया तो टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगेगा। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को पांच साल के बाद रिडीम करने का विकल्प होता है। साथ ही वैसे बॉन्ड धारक जिन्होंने डीमैट फॉर्म में भी बॉन्ड लिया है वे कभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर इसे बेच सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के ट्रांसफर पर लगने वाले लांग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर इंडेक्सेशन का फायदा भी मिलता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर प्रत्येक वित्त वर्ष 2.5 फीसदी ब्याज भी मिलता है। लेकिन इस ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब यह ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के तौर पर आपके ग्रॉस इनकम में जुड़ जाएगा और आपको टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा। एक बात और -- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है। डिजिटल गोल्ड डिजिटल गोल्ड पर भी फिजिकल गोल्ड की तरह टैक्स लगता है। डिजिटल गोल्ड सोना खरीदने बेचने का सबसे नया जरिया है। गूगल पे, पेटीएम, मोबिक्विक और फोनपे जैसे प्लेटफार्म के अलावा पीसी ज्वैलर्स, कल्याण ज्वैलर्स, तनिष्क, सेनको गोल्ड एंड डायमंड जैसे कई ज्वेलरी ब्रांड भी डिजिटल गोल्ड उपलब्ध कराते हैं। आप सीधे एमएमटीसी-पीएएमपी, ऑगमोंट गोल्ड और सेफगोल्ड से भी डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। आप न्यूनतम 1 रुपये से डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं । सलाहअजय केडिया कहते हैं, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसकी मैच्योरिटी तक होल्ड कर सकते हैं तो टैक्स के नजरिए से यह निवेश का सबसे बेहतर विकल्प है। क्योंकि मैच्योरिटी पीरियड के बाद अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को रिडीम करते हैं तो रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
