पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक अतुल कुमार गोयल ने निकुंज ओहरी और अभिजित लेले को साक्षात्कार में बताया कि ब्याज दर वृद्धि से बैंक का पोर्टफोलियो कम प्रभावित होगा, क्योंकि ऋणदाता का ऋण संक्षिप्त अवधि की की प्रतिभूतियों से जुड़ा है। बैंक ने आईआरडीएआई से 31 मार्च 2023 तक केनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (सीएचओआईसीई) में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए मंजूरी मांगी है। पेश हैं मुख्य अंश: क्या फेडरल रिजर्व द्वारा और ज्यादा ब्याज दर वृद्धि की उम्मीद किए जाने से आरबीआई के उपाय रुपये पर प्रभाव कम करने की दिशा में कारगर होंगे? रुपया मजबूत प्रदर्शन वाली एशियाई मुद्राओं में से एक रहा है। हालांकि, यह उभरते बाजारों से वैश्विक निकासी का लगातार सामना नहीं कर सकता है। आरबीआई यह सुनिश्चित कर रहा है कि बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव न आए और रुपये की वैल्यू में व्यवस्थित तरीके से बदलाव हो। अभी तक किए गए उपाय ऋण पूंजी में अधिक प्रवाह आकर्षित करने के लिए अच्छे हैं, लेकिन इनका असर दिखने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि रुपये पर दबाव बड़े मौजूदा चालू खाता घाटे से पड़ रहा है, न कि सिर्फ पूंजी निकासी से। भारतीय रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की शुरुआत से हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में बचत होगी और अधिक वैश्विक व्यापार भागीदार आएंगे। केंद्रीय बैंक और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से रुपये में भारी गिरावट थम सकती है।क्या आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों से अनिवासी (एनआर) डॉलर जमाएं बढ़ाने में मद मिलेगी? क्या आप पीएनबी में एनआर डॉलर जमाओं में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं? आरबीआई द्वारा घोषित कदमों का मकसद मुख्य तौर पर ऊंचे विदेशी मुद्रा प्रवाह के जरिये रुपये में गिरावट को दूर करना है। विदेशी मुद्रा अनिवासी बैंक (एफसीएनआर-बी) और अनिवासी (एक्सटर्नल) रुपये में जमाओं को सीआरआर और एसएलआर नियमों से छूट दी गई है। हमारे पास देश में 10,098 शाखओं में से 230 अधिकृत डीलर (एडी) शाखाओं का नेटवर्क है। बैंक एनआरआई ग्राहकों को कई तरह की सुविधाएं प्रदान करता है। आरबीआई की मदद से पीएनबी अनिवासी जमाकर्ताओं को ऊंची ब्याज दरें मुहैया कराने में सक्षम होगा और इससे एनआरआई जमाओं का प्रवाह बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।बढ़ता बॉन्ड प्रतिफल पीएनबी की आय को किस तरह से प्रभावित कर रहा है? क्या बैंकों ने नुकसान के लिए आरबीआई से कोई विशेष व्यवस्था की मांग की है? आगामी महीनों में प्रतिफल अस्थिर बने रहने की संभावना है। यह भूराजनीतिक तनाव, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के निर्णयों, एमपीसी के निर्णय, जीडीपी वृद्धि के रुझान, एफपीआई प्रवाह और मुद्रास्फीति, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होगा। हालांकि भविष्य में होने वाली ज्यादातर दर वृद्धि का असर दिख चुका है।
