इस्पात बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने इस्पात कीमतों में गिरावट और मांग में सुस्ती के मद्देनजर वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने पूंजीगत खर्च में कटौती कर रही है लेकिन वह वृद्धि के लिए पूंजीगत खर्च में कोई कटौती नहीं कर रही है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2023 के लिए 20,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बनाई थी जिसे घटाकर 15,000 रुपये किया जा रहा है। जेएसडब्ल्यू ने वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 के दौरान भारत में अपनी क्षमता को 2.7 करोड़ टन से बढ़ाकर 3.7 करोड़ टन करने के लिए कुल 47,457 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बनाई है। कंपनी इस विस्तार को वित्त वर्ष 2025 में पूरा कर लेगी। जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं ग्रुप सीएफओ शेषागिरि राव ने कहा कि जब 47,457 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की घोषणा की गई थी तो वह वृद्धि, स्थिरता और विशेष परियोजनाओं के लिए था। राव ने कहा, ‘पहली तिमाही के प्रदर्शन को देखते हुए हमने सोचा कि हमें इस साल अपने पूंजीगत खर्च कम रखना चाहिए। लेकिन हमने वृद्धि के लिए पूंजीगत खर्च में कोई कटौती नहीं की है।’ उन्होंने कहा कि विशेष परियोजनाओं और विवेकाधीन पूंजीगत खर्च को फिलहाल टाल दिया गया है। जीविका संबंधी पूंजीगत खर्च के एक हिस्से को भी अगले साल के लिए टाल दिया गया है। लेकिन विजयवाड़ा में 75 लाख टन और भूषण पावर ऐंड स्टील में 25 लाख टन क्षमता विस्तार के लिए वित्त पोषण जारी रहेगा। वित्त वर्ष 2022 में तेजी के बाद वित वर्ष 2023 की पहली तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील का समेकित शुद्ध लाभ 85.7 फीसदी घटकर 839 करोड़ रुपये रह गया। कंपनी के मुनाफे को वैश्विक इस्पात आपूर्ति एवं लागत में तेजी और इस्पात की मांग एवं मूल्य में गिरावट से झटका लगा। इसके अलावा रुपये में करीब 4 फीसदी की गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा ऋण के बकाये पर मार्क-टु-मार्केट घाटे से भी मुनाफा प्रभावित हुआ। यह प्रभाव करीब 747 करोड़ रुपये का था। इन तमाम कारकों के कारण पहली तिमाही में परिचालन परिदृश्य चुनौतीपूर्ण हो गया। राव ने कहा, ‘सरकार ने मई में आयात शुल्क लगा दिया जिससे भारत में धारणा प्रभावित हुई। यह मानकर कि कीमतों में गिरावट आगे भी जारी रही और स्थानीय उपयोगकर्ता उद्योग ने खरीदारी बंद कर दी जिससे खपत में उल्लेखनीय गिरावट आई। निर्यात में भी तिमाही आधार पर 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।’ भारत में इस्पात की खपत में तिमाही आधार पर 5.6 फीसदी की गिरावट आई। वैश्विक बाजारों में, विशेष तौर पर चीन में इस्पात उत्पादन बढ़ गया और कोविड के कारण घरेलू बाजार बंद होने के कारण उसने निर्यात को बढ़ाया। लेकिन भारतीय कंपनियां 15 फीसदी निर्यात शुल्क के कारण इसका अधिक फायदा नहीं उठा पाईं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील का निर्यात 35 फीसदी घट गया। कंपनी का इन्वेंट्री स्तर करीब 23 लाख टन पर सर्वकालिक ऊंचाई पर है। बाजार स्थितियों, कम निर्यात और डोल्वी चरण 2 विस्तार के कारण अधिक उत्पादन से इन्वेंट्री को बल मिला। हालांकि पहली तिमाही में कंपनी ने उत्पादन में कुछ कटौती की है। कंपनी का इन्वेंट्री स्तर 31 मार्च 2022 तक 13.08 लाख टन था और पिछली तिमाही के दौरान उसमें करीब 10 लाख टन की बढ़ोतरी हुई। राव ने कहा कि चालू तिमाही के दौरान इन्वेंट्री को खपाने की कोशिश की जाएगी।
