भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि फिनटेक और डिजिटल लेंडिंग फर्मों को लाइसेंस में मिली अनुमति के मुताबिक ही काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों के लिए उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है, उनमें उद्यम करने वाली फर्मों को पहले केंद्रीय बैंक की अनुमति लेनी होगी। बैंक आफ बड़ौदा के सालाना बैंकिंग सम्मेलन में बोलते हुए दास ने कहा, ‘फर्मों को उसी दायरे में काम करना चाहिए, जिसके लिए उन्हें लाइसेंस मिला है। अगर वे लाइसेंस से इतर कुछ भी काम कर रही हैं तो उन्हें हमसे अनुमति लेनी चाहिए। अनुमति के बगैर अगर वे ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं होगा। इसकी वजह से जोखिम बढ़ेगा और हम इसे अनुमति नहीं दे सकते हैं।’ दास ने कहा कि डिजिटल उधारी के मानकों पर अभी काम चल रहा है और यह कुछ महीनों में आ सकता है। स्थिति की जटिलता को देखते हुए नियमन में देरी हो रही है। गवर्नर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले महीने रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना जारी कर क्रेडिट लाइनों से प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट की लोडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह अधिसूचना सभी फिनटेक कंपनियों को भेजी गई थी और खासकर बाई नाऊ, पे लेटर (बीएनपीएन) उद्योग में इसे लेकर हलचल मची है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि इससे 80 लाख से 1 करोड़ बीएनपीएल ग्राहकों पर असर पड़ेगा। तमाम फर्मों ने इस अधिसूचना के बाद पेशकश बंद कर दिया, जबकि कुछ फर्मों ने नए ग्राहक जुटाने का काम सुस्त कर दिया है।
