"अगर आप सेवा शुल्क का भुगतान नहीं करना चाहते हैं, तो रेस्तरां में प्रवेश न करें।" दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा । ये टिप्पणी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जारी हालिया दिशानिर्देशों पर रोक लगते हुए दी है। जिसमें कहा गया था कि रेस्तरां भोजन बिलों पर डिफ़ॉल्ट रूप से सेवा शुल्क नहीं लगा सकते हैं। स्थगन आदेश नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की एक याचिका पर पारित किया गया था। NRAI आधे मिलियन से अधिक रेस्तरां का प्रतिनिधित्व करती है। वहीँ फूड आउटलेट्स से भी कहा गया है कि वे अपने मेन्यू में इस तरह के शुल्क स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करें ताकि ग्राहकों को पता चल सके। रेस्टोरेंट आमतौर पर खाने के बिल पर 10% का सर्विस चार्ज लगाते हैं। कई ग्राहकों के लिए, बिल भुगतान के समय सर्विस चार्ज घटक को देखकर आश्चर्य होता है। NRAI ने अपने सदस्यों से उच्च न्यायालय द्वारा बताई गई शर्तों का पालन करने का आग्रह किया है। मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता की कमी की शिकायतें केवल रेस्तरां और होटल क्षेत्र तक ही सीमित नहीं हैं। मई में, सीसीपीए ने कैब सेवा देने वाली ओला और उबर को नोटिस जारी किया था। ये नोटिस उपभोक्ता अधिकारों के कथित उल्लंघन और अनुचित व्यापार प्रथाओं के लिए जारी किया था। नोटिस में उठाए गए प्राथमिक मुद्दों में से एक एल्गोरिथ्म की जानकारी की कमी है। ये कंपनियां दो व्यक्तियों से एक ही मार्ग के लिए अलग-अलग किराए वसूलने के लिए उपयोग की जाने वाली विधि का खुलासा नहीं करतीं। अन्य मुद्दों में कैंसलेशन शुल्क की अनुचित वसूली शामिल है। जिसमें उपयोगकर्ताओं को वह समय नहीं दिखाया जाता है जिसके भीतर एक सवारी को कैंसिल करने की अनुमति होती है। इसके अलावा कैंसलेशन शुल्क को सवारी की बुकिंग से पहले प्रदर्शित नहीं किया जाता है। पूर्व-चिह्नित बक्सों द्वारा बीमा जैसी ऐड-ऑन सेवाओं के लिए शुल्क शामिल करने का मुद्दा भी उठाया गया था। ये सेवाएं अक्सर ग्राहकों की सहमति लिए बिना ही जोड़ दी जाती हैं। उसी तर्ज पर, प्लेटफ़ॉर्म फ़्लाइट टिकट बुक करते समय करों और अन्य शुल्कों का विवरण प्रदान नहीं करते हैं। इस बात का पता शीर्ष ऑनलाइन एग्रीगेटर्स पर एक सरसरी जाँच के बाद चला। इन शुल्कों में विमानन सुरक्षा शुल्क, यात्री सेवा शुल्क, उपयोगकर्ता विकास शुल्क, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना शुल्क और सामान्य उपयोगकर्ता टर्मिनल उपकरण शुल्क शामिल हैं। प्लेटफ़ॉर्म की सुविधा शुल्क की प्रयोज्यता जो की आमतौर पर गैर-वापसी योग्य होती है , इसकी जानकारी भी बुकिंग प्रक्रिया के अंतिम चरण में प्रकट की जाती है। इसी तरह, मूवी या इवेंट बुकिंग के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सुविधा शुल्क की राशि एकदम अंत में जब ग्राहक भुगतान करने लगता है, तब दिखाई जाती है। जिससे उससे यह आभास होता है कि मूल्य को बहुत अधिक बढ़ाया जा रहा है। इंडसलॉ की पार्टनर श्रेया सूरी का कहना है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में पहले से ही मूल्य निर्धारण पारदर्शिता की आवश्यकता है। "ये सब अनुचित व्यापार व्यवहार माने जाते हैं। ई-कॉमर्स नियम विशिष्ट मूल्य ब्रेक-अप के लिए कहते हैं। सीसीपीए मामला-दर-मामला आधार पर उल्लंघनों का निर्धारण करने के लिए ही है," सूरी ने कहा । उपभोक्ताओं ने यह भी शिकायत की है कि फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर दिखाई गई कीमतें कुछ मामलों में रेस्तरां की कीमतों से 20-30% अधिक हैं। इस तरह के प्लेटफॉर्म द्वारा लगाए जाने वाले उच्च कमीशन ने रेस्तरां को ऑनलाइन अधिक कीमतों को दिखने पर मजबूर कर दिया है। यहां पारदर्शिता का मतलब होगा कि ज़ोमैटो और स्विगी के पास एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जो ग्राहक को सूचित करे कि उनके प्लेटफॉर्म पर कीमतें समान उत्पादों के मेनू मूल्य से बहुत अधिक हैं।
