एडीबी ने घटाया भारत का वृद्धि अनुमान | असित रंजन मिश्र / नई दिल्ली July 22, 2022 | | | | |
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है, जिसने पहले 7.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। एजेंसी ने बढ़ी हुई और संभावित महंगाई दर के अनुमान और उसके मुताबिक केंद्रीय बैंक द्वारा मौद्रिक नीति की संभावित सख्ती को देखते हुए वृद्धि दर में यह कटौती की है।
मनीला स्थित बहुपक्षीय विकास बैंक ने भारत के लिए अपने महंगाई दर का अनुमान भी वित्त वर्ष 23 के लिए बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले महंगाई दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण जिंसों के बढ़े दाम को देखते हुए भारत में महंगाई बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
अपने हाल के एशियन डेवलपमेंट आउटलुक सप्लीमेंट में एडीबी ने कहा, ‘यद्यपि कि ग्राहकों के विश्वास में सुधार जारी है, लेकिन उम्मीद से ज्यादा महंगाई रहने से ग्राहकों की क्रय शक्ति कम हो जाएगी। इसका कुछ असर उत्पाद शुल्क में कटौती, उर्वरक और गैस सब्सिडी के प्रावधान और मुफ्त खाद्यान्न वितरण कार्यक्रम को विस्तार देने से कम हो सकता है।’
वित्त वर्ष 22 की मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी में वृद्धि सुधरकर 4.1 प्रतिशत हो गई है, जबकि निजी खपत में वृद्धि निराशाजनक रही है और विनिर्माण में संकुचन आया है।
एडीबी ने कहा कि फर्मों के लिए उधारी की लागत बढ़ने से निजी निवेश कम होगा क्योंकि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रहा है, जिससे कि महंगाई पर काबू पाया जा सके। इसमें कहा गया है, ‘वैश्विक मांग कम रहने से शुद्ध निर्यात में कमी आएगी और वास्तविक प्रभावी विनिमय दर में बढ़ोतरी से निर्यात में प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी, भले ही रुपया कमजोर हो रहा है।’
आपूर्ति को लेकर एडीबी ने कहा है कि जिंस के दाम ज्यादा होने से खनन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। एजेंसी ने कहा, ‘लेकिन विनिर्माण फर्मों को बढ़ी इनपुट लागत की आंच का सामना करना पड़ेगा क्योंकि तेल की कीमत बढ़ी हुई है।’
एडीबी ने चीन का वृद्धि अनुमान 2022 कैलेंडर वर्ष के लिए घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।
वहीं उद्योग संगठन फिक्की ने गुरुवार को जारी अपने हाल के आर्थिक परिदृश्य सर्वे में जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है, जिसने अप्रैल में 7.4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। उद्योग संगठन ने भूराजनीतिक अनिश्चितता को देखते हुए 6.5 प्रतिशत से 7.3 प्रतिशत के बीच वृद्धि रहने का अनुमान लगाया है।
फिक्की ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक उतार चढ़ाव से अप्रभावित नहीं है। महंगाई का दबाव बढ़ रहा है और वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ रही है। हिस्सेदारों ने कहा है कि इन वजहों से भारत के आर्थिक पहलुओं पर दबाव पड़ रहा है और इससे रिकवरी में देरी की संभावना है।’
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