केंद्र ने नियंत्रण में किया अपना कर्ज | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली July 22, 2022 | | | | |
केंद्र सरकार ने 2021-22 के अंत में अपना कर्ज नियंत्रित कर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 56.29 प्रतिशत कर लिया है, जो बजट के संशोधित अनुमान (आरई) में बढ़कर 59.9 प्रतिशत हो गया था।
आंशिक रूप से यह वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा सार्वजनिक ऋण प्रबंधन पर हाल की तिमाही रिपोर्ट में जीडीपी में बदलाव के कारण हुआ है।
ई-मेल से बिजनेस स्टैंडर्ड को भेजे गए जवाब में आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा, ‘कर्ज और जीडीपी के अनुपात ने कम प्रतिशत लाने में अहम भूमिका निभाई है। जनवरी-मार्च 2022 के लिए तिमाही रिपोर्ट में 31 मई, 2022 तक जीडीपी का प्रकाशित आंकड़ा 2,36,64,637 करोड़ रुपये था, जबकि 2021-22 के संशोधित अनुमान में जीडीपी का अनुमानित आकार 2,32,14,703 करोड़ रुपये था।’
अगर पहले के जीडीपी के अनुमान के आधार पर वित्त वर्ष 22 के सरकार के कुल 133.2 लाख करोड़ रुपये कर्ज को देखें तो कर्ज और जीडीपी का अनुपात 57.38 प्रतिशत आता है, जो वित्त वर्ष 22 के संशोधित अनुमान के 59.9 प्रतिशत की तुलना में कम है।
सेठ ने स्पष्ट किया कि संशोधित जीडीपी आंकड़ों के अलावा बाजार उधारी 2021-22 के दौरान करीब 78,000 करोड़ रुपये कम रही है।
इसमें यह भी एक तथ्य है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा घटकर जीडीपी का 6.7 प्रतिशत रह गया, जो वित्त वर्ष 2021-22 के संशोधित अनुमान में 6.9 प्रतिशत था।
चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत है। उर्वरक और खाद्य पर व्यय बढ़ने का दबाव है, लेकिन सेठ ने कहा, ‘वैश्विक स्थितियों को देखते हुए सरकार विभिन्न राजकोषीय कदम उठा रही है और वह राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है।’
उन्होंने कहा कि उनके विभाग की रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई विधि और बजट के दस्तावेजों की गणना के मुताबिक केंद्र सरकार का कर्ज कमोबेश पहले जैसा ही रह सकता है। सामान्यतया केंद्र व राज्यों के कर्ज को एक साथ लिया जाता है, जिससे बॉन्ड प्रतिफल सहित अर्थव्यवस्था के विभिन्न मानकों पर इनका असर जाना जा सके।
हाल की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक ने समेकित कर्ज जीडीपी अनुपात बढ़ने की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया था। इसमें कहा गया था कि मार्च 2021 के आखित तक सरकार (केंद्र व राज्यों) का बकाया ऋण जीडीपी के 89.4 प्रतिशत के उच्च स्तर पर होगा और इसके 2025-26 तक बढ़े हुए स्तर तक बने रहने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह संभवतः बाजार में आपूर्ति में बढ़ोतरी को बरकरार रखेगा, प्रतिफल पर दबाव पैदा करेगा और निजी क्षेत्र के वित्तीय संसाधनों की जरूरत से बाहर निकल जाएगा।’
2021-22 में जीसेक इश्यूएंस का भारित औसत प्रतिफल पहले के साल की तुलना में 49 आधार अंक बढ़ा। इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर आगे की स्थिति को देखें तो प्रतिफल जोखिम दिखाते जारी रह सकते हैं, क्योंकि निजी क्षेत्र के वित्तपोषण की लागत बढ़ी है।
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