श्रम शक्ति में महिलाओं की घटती भागीदारी | श्रम-रोजगार | | महेश व्यास / July 21, 2022 | | | | |
श्रम शक्ति भागीदारी का उम्र के आधार पर वितरण अंग्रेजी के उलटे ‘यू’ अक्षर के आकार का नजर आता है। युवा अवस्था में यानी 15 से 19 वर्ष की आयु में बहुत कम लोग रोजगार की तलाश करते हैं। यह बात समझी जा सकती है क्योंकि इस उम्र में अधिकांश लोग पढ़ाई कर रहे होते हैं। जनवरी-अप्रैल 2022 के कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे के मुताबिक इस आयु वर्ग के केवल 4.2 प्रतिशत लोग ही रोजगार की तलाश में थे। अग्निवीरों का चयन ज्यादातर इसी आयुवर्ग के लोगों में से किया जा रहा है।
रोजगार तलाश करने वाली आबादी यानी श्रम भागीदारी दर उम्र के साथ तेजी से बढ़ती है। 20 से 24 वर्ष की आयु के लोगों में से 34 प्रतिशत लोगों ने जनवरी से अप्रैल 2022 के बीच रोजगार की तलाश की। 25 से 59 वर्ष की आयु के लोगों में यह प्रतिशत बढ़कर 50 से 60 के बीच हो गया। वहीं आयु के दूसरे छोर पर देखें तो 60 से 64 वर्ष की उम्र के की उम्र के लोगों में से 24 प्रतिशत लोग श्रम बाजार में थे जबकि 65 वर्ष से अधिक आयु के 7 प्रतिशत लोग श्रम बाजार में हिस्सेदारी के इच्छुक थे।
श्रम भागीदारी दर का यह वितरण महिलाओं और पुरुषों के लिए एकदम अलग-अलग है। पुरुषों के मामले में यह एकदम उलटे ‘यू’ के आकार का है जबकि महिलाओं के मामले में इसका आकार उलटे ‘यू’ जैसा अवश्य है लेकिन सटीक बिल्कुल भी नहीं है। ध्यान से देखने पर पता चलता है कि युवा महिलाओं का बड़ा हिस्सा श्रम बाजार में शामिल अवश्य होता है लेकिन उनमें से कई बहुत जल्दी श्रम बाजार से दूर भी हो जाती हैं। ये महिलाएं 20 से 30 की उम्र के बीच श्रम शक्ति से बाहर होती हैं और तीसरे दशक के आखिर में दोबारा काम पर वापसी करती हैं। यह पुरुषों के व्यवहार से एकदम उलट है।
पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 15 से 19 वर्ष के लिए 6 फीसदी से बढ़कर 20 से 24 वर्ष के लिए 46 फीसदी हो जाती है। इसके बाद इसमें तेज इजाफा होता है और यह 90 प्रतिशत पर पहुंच जाती है। 25 से 59 आयुवर्ग के पुरुषों की औसत श्रम शक्ति भागीदारी दर 95 प्रतिशत है। जाहिर है एक उम्र के बाद अधिकांश पुरुष रोजगार की तलाश में रहते हैं।
श्रम बाजार में पुरुषों की भागीदारी में कमी तब आती है जब वे 60 की उम्र में होते हैं। भारत में यही सेवानिवृत्ति की उम्र है। 60 से 64 वर्ष के पुरुषों में श्रम शक्ति भागीदारी घटकर 46 फीसदी रह जाती है। 64 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में यह और गिरती है लेकिन यह करीब 13 फीसदी रहती है। वरिष्ठ नागरिकों की यह श्रम शक्ति भागीदारी उम्र के दायरे में अधिक समावेशी स्थिति का प्रतिनिधित्व करती है।
महिलाओं की श्रम भागीदारी दर पुरुषों की तुलना में काफी कम है। जनवरी-अप्रैल 2022 के दौरान पुरुषों की श्रमशक्ति भागीदारी दर 66 फीसदी थी जबकि महिलाओं की 9 फीसदी। 25 से 59 की आयु के पुरुषों की श्रम शक्ति भागीदारी दर 90 फीसदी से अधिक है जबकि इस आयुवर्ग की महिलाओं में यह दर कभी 20 प्रतिशत का स्तर पार नहीं कर पाई।
2016 के बाद लगे आर्थिक झटकों के बावजूद पुरुषों की श्रम शक्ति भागीदारी में आयु का वितरण अपेक्षाकृत स्थिर रहा है। महिलाओं के साथ ऐसी बात नहीं है। पुरुषों में श्रमशक्ति भागीदारी के आयु वितरण के मामले में उलटे ‘यू’ के आकार की व्यवस्था लगभग अपरिवर्तित रही है जबकि महिलाओं के मामले में यह अपेक्षाकृत कमतर रहा।
अगर 2016, 2018, 2020 और 2022 के जनवरी-अप्रैल के आंकड़ों की तुलना की जाए तो हमें पता चलता है कि 2016 में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर सबसे अधिक थी। यानी 2016 में हर आयु वर्ग में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी उच्चतम स्तर पर थी। उसके बाद इसमें लगातार गिरावट आई। 2018 में यह 2016 से नीचे थी लेकिन 2020 में थोड़ा बदलाव देखने को मिला। 2020 में यह 2018 से कमतर रही लेकिन 20 से 24 वर्ष आयु की महिलाओं के मामले में यह थोड़ी बेहतर हुई और 2018 के 10.91 फीसदी के मुकाबले सुधरकर 2020 में यह 12.91 प्रतिशत हो गई। यानी 2018-29 के दौरान युवा महिलाओं ने बड़ी तादाद में श्रम बाजार में वापसी शुरू की। यह बात आंकड़ों में भी नजर आई।
मई-अगस्त 2018 के बाद बड़ी तादाद में महिलाओं के श्रम बाजार में आने का सिलसिला शुरू हुआ उस समय महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर 10.28 फीसदी थी। यहां से उसमें सुधार शुरू हुआ और सितंबर-दिसंबर 2019 के बीच यह 14.31 फीसदी तक पहुंच गया। यह महामारी के पहले की अंतिम गणना थी। महामारी और लॉकडाउन ने 20 से 24 वर्ष की आयु की महिलाओं में श्रम भागीदारी दर की बढ़ोतरी रोक दी। मई-अगस्त 2020 में यह दर 8.7 फीसदी के न्यूनतम स्तर पर आ गई। सितंबर से दिसंबर 2020 के दौरान अवश्य इसमें कुछ सुधार हुआ और यह 10.9 फीसदी तक जा पहुंची। यह अच्छा सुधार था लेकिन उसके बाद से 20 से 24 आयु वर्ग की महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी की दर 10.5 फीसदी के आसपास ठहरी हुई है।
महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी दर में 2018-2019 के बीच एक बार और बदलाव देखने को मिला। पहले यह दर 20-24 वर्ष की महिलाओं के मामले में बढ़ी थी और उसके बाद यह 30 वर्ष की आयु की महिलाओं के मामले में भी बढ़ती रही। 40 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुकी महिलाओं के मामले में जरूरत इस दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। 2018 के बाद 20-24 आयु वर्ग की महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी सुधरने लगी लेकिन 25 से 34 की उम्र की महिलाओं की भागीदारी में कमी आई। 30 की आयु की महिलाओं की भागीदारी बढ़ी और फिर घटने लगी। 25 से 29 की आयु की महिलाओं के मामले में श्रम शक्ति भागीदारी 20 से 24 वर्ष की महिलाओं की तुलना में कम है। युवा महिला कामगारों के श्रम शक्ति से दूर रहने की समुचित पड़ताल होनी चाहिए।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)
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