देश के कई हिस्सों में चालू खरीफ फसलों की बुआई अभी तक रफ्तार भी नहीं पकड़ सकी है जबकि महाराष्ट्र में अति बारिश और बाढ़ के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। जुलाई महीने की शुरुआत से हो रही बारिश की रफ्तार धीमी पड़ने से आम लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ के कारण फसलों को भारी नुकसान होने से किसान भी परेशान हैं। बारिश का असर राज्य के कई जिलों में देखने को मिल रहा है और कई जिलों की नदियां उफान पर हैं। भारी बारिश और बाढ़ से राज्य के किसानों की हजारों एकड़ की फसल बरबाद हो गई है।महाराष्ट्र में इस साल खरीफ सीजन में फसलों का रकबा पिछले साल के करीब ही है। यानी राज्य में किसानों ने खरीफ फसलों की अच्छी बुआई की है। लेकिन अति बारिश और बाढ़ के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ है। खेतों में जलभराव से फसलें सड़ने लगी हैं। खेत तालाब नजर आते हैं, जिससे किसानों को इस बार भी भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। गन्ना, कपास, हल्दी, सोयाबीन, अरहर, मूंग, उड़द और सब्जियों समेत कई अन्य फसलें बरबाद हो गई हैं। इनमें से ज्यादातर हिस्से में दोबारा बुआई करनी पड़ सकती है।किसानों का कहना है कि दो बार बुआई करने के बाद भारी बारिश ने यह कहर बरपाया है। इसलिए अब हम तीसरी बार बुआई करने की स्थिति में नहीं हैं। किसान अब सरकार से आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश से खरीफ में अरहर, मूंग, उड़द, सोयाबीन और कपास को ही नहीं बल्कि हल्दी की फसल को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। खेतों में पानी जमा होने से हल्दी की फसल बोते ही सड़ चुकी है। किसानों का कहना है कि खेतों में पानी लगने के बाद फसल सड़ रही है और जो बचेगी भी उसका उत्पादन कम होगा। खेतों में अभी भी पानी भरा है या नमी बहुत ज्यादा है अतः इस समय दोहरी बुआई संभव नहीं है। अंगूर, केला और सब्जियों को भी भारी नुकसान हुआ है। आंधी और बारिश में केले के बाग में पानी जमा होने से फफूंद रोग का प्रकोप बढ़ गया है। नाशिक के किशोर बाघमारे कहते हैं कि इसका असर जल्द ही देखने को मिलेगा, सब्जियों के दाम अगले कुछ दिनों में बढ़ना शुरू होगे। महाराष्ट्र में भारी बारिश के प्रकोप से सबसे ज्यादा पालघर, ठाणे, नांदेड़, हिंगोली, कोल्हापुर, चंद्रपुर, नागपुर, रत्नागिरि व मुंबई जिले प्रभावित हैं। मौसम विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक राज्य में बारिश की रफ्तार थोड़ी कम जरूर हुई है लेकिन राज्य में बारिश का सिलसिला फिलहाल जारी रहेगा जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।राज्य के किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ राज्य में नासिक, कोंकण, पुणे, कोल्हापुर, सांगली, गढ़चिरौली और नांदेड़ में बाढ़ जैसी स्थिति बन हुई है जिससे फसल खराब रही है तो दूसरी तरफ बीड और आसपास के क्षेत्र में अभी भी किसानों को बारिश का इंतजार है। बारिश न होने से जिन फसलों की बुआई की गई है वे सूख रही हैं। राज्य के कई हिस्सों में फंफूदी और खेती में घोंघे का प्रकोप भी किसानों को परेशान कर रहा है।चालू खरीफ सीजन में फसल बुआई के आंकड़े पिछले साल के आसपास ही हैं। महाराष्ट्र कृषि विभाग के फसल बुआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अभी तक राज्य में 105.03 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में का बुआई क्षेत्र 105.96 लाख हेक्टेयर था। राज्य खरीफ सीजन में फसल बुआई का कुल रकबा 15132804 हेक्टेयर माना जाता है। यानी राज्य में खरीफ सीजन की फसलों की बुआई 69 फीसदी हो चुकी है। खरीफ सीजन की फसलों की बुआई में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सोयाबीन की है कुल फसलों के बुआई रकबे में सोयाबीन की हिस्सेदारी 36.3 फीसदी (38.14 लाख हेक्टेयर) और कपास 35.1 फीसदी (36.88 लाख हेक्टेयर) है।
