विदेशी मुद्रा घाटे से देसी उद्योग जगत के मार्जिन पर असर | कृष्ण कांत / मुंबई July 21, 2022 | | | | |
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में भारी गिरावट कॉरपोरेट भारत के लिए महंगी साबित हो सकती है। विदेशी मुद्रा के संदर्भ में सूचीबद्ध कंपनियों का विदेशी राजस्व खर्च या आयात विदेशी मुद्रा में उनके निर्यात राजस्व या राजस्व आय को पार कर गया है।
पिछले वित्त वर्ष में, बैंकों और बीएफएसआई को छोड़कर बीएसई-500 कंपनियों ने 10 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आय के मुकाबले 12.31 लाख करोड़ रुपये का संयुक्त विदेशी मुद्रा खर्च दर्ज किया। इसे देखते हुए, रुपये में गिरावट आगामी तिमाहियों में कॉरपोरेट मार्जिन और लाभ को प्रभावित करेगी।
विदेशी मुद्रा राजस्व या निर्यात का कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री में 21.6 प्रतिशत का योगदान है। तुलनात्मक तौर पर, आयात या विदेशी मुद्रा खर्च का उनके कुल परिचालन खर्च में 31.8 प्रतिशत का योगदान है, जिसमें कच्चा माल और ऊर्जा भी शामिल है।
भारतीय मुद्रा में इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले करीब 7 प्रतिशत की कमजोरी आई है और वह 80 रुपये प्रति डॉलर के आसपास कारोबार कर रहा है।
विदेशी मुद्रा राजस्व में अंतर आईटी सेवा और दवा क्षेत्र को छोड़कर अन्य कंपनियों के लिए काफी ज्यादा है। इन दो निर्यात-केंद्रित क्षेत्रों को छोड़कर शेष भारतीय उद्योग जगत के लिए विदेशी मुद्रा राजस्व करीब 10 लाख करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा खर्च के मुकाबले वित्त वर्ष 2022/वित्त वर्ष 2021 में करीब 5 लाख करोड़ रुपये के आसपास था। सबसे बड़ी आयातक तेल एवं गैस कंपनियां हैं, जिसके बाद धातु एवं खनन कंपनियां शामिल हैं।
दूसरी तरफ, आईटी सेवा और फार्मास्युटिकल कंपनियों का पिछले वित्त वर्ष में भारतीय उद्योग जगत के कुल विदेशी मुद्रा राजस्व में करीब 50 प्रतिशत का योगदान रहा, लेकिन हमारे नमूने में शामिल कंपनियों के लिए कुल विदेशी मुद्रा खर्च सिर्फ 18.3 प्रतिशत है। कुल मिलाकर, इन क्षेत्रों की कंपनियों ने निर्यात के जरिये 4.98 लाख करोड़ रुपये कमाए, लेकिन अपने ताजा वित्त वर्ष में आयात पर 2.25 लाख करोड़ रुपये कमाए। इन दो क्षेत्रों में कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री में निर्यात का योगदान 80 प्रतिशत रहा।
बिजनेस स्टैंडर्ड का यह विश्लेषण बीएसई-500 की 407 कंपनियों के पूर्व बैंकों, एनबीएफसी और बीमा कंपनियों के नमूने के सालाना वित्तीय विवरण पर आधारित है। इनमें से 186 कंपनियों के ताजा आंकड़े वित्त वर्ष 2021-22 के लिए हैं, जबकि शेष के आंकड़े वित्त वर्ष 2021 के हैं।
इस वजह से, विदेशी मुद्रा राजस्व और खर्च के आंकड़े उस समय बदलने की संभावना रहेगी, जब सभी कंपनियां वित्त वर्ष 2022 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट प्रकाशित करेंगी, जिसमें विदेशी मुद्रा लेनदेन का आंकड़ा शामिल है। आंकड़े में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, हिंडाल्को, और मदरसन सूमी जैसी कंपनियों की वैश्विक सहायक इकाइयों का वित्तीय विवरण शामिल है।
जेएम फाइनैंशियल इक्विटी के प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, 'मुद्रा में गिरावट का मतलब है कि कंपनियों को अपने आयातित उत्पादों और कच्चे माल पर ज्यादा खर्च करना होगा।'
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