टूटता रुपया : व्यापार घाटे से राहत की संभावना सीमित | श्रेया नंदी और असित रंजन मिश्र / नई दिल्ली July 21, 2022 | | | | |
डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 80 पर पहुंच गया है, जिससे भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। वहीं इसकी वजह से कच्चे तेल और सोने का आयात बिल बढ़ेगा। ऐसे में व्यापार घाटे से राहत मिलने की संभावना सीमित है, जो जून में 26.2 अरब डॉलर के रिकॉर्ड पर पहुंच गया है।
भू राजनीतिक तनावों के वैश्विक जोखिम और फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत सख्ती के कारण ज्यादातर मुद्राओं की तुलना में डॉलर मजबूत हुआ है, जिसमें रुपया भी शामिल है। और अन्य मुद्राओं में गिरावट के कारण तुलनात्मक रूप से भारत को लाभ की संभावना सीमित है।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, ‘रुपये का कमजोर होना व्यापार संतुलन के हिसाब से बेहतर है, क्योंकि इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है और आयात हतोत्साहित होता है। लेकिन इसका असर बहुत मामूली रहने की संभावना है क्योंकि निर्यात वैश्विक मांग पर निर्भर है, जो इस समय सुस्त है। वहीं आयात स्थिर है। व्यापार असंतुलन में सुधार का असर तब तक बहुत सीमित है, जब तक कि मुद्रा में तेज गिरावट नहीं आती है।’
इस माह की शुरुआत में आई वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये में गिरावट के साथ जिंस के वैश्विक दाम में तेजी के कारण आयात महंगा हो गया है। इसकी वजह से चालू खाते के घाटे में कमी लाने में आगे और कठिनाई होगी। इसमें कहा गया है कि सीएडी में कमी सेवा निर्यात में वृद्धि से आएगी, जहां भारत वाणिज्यिक निर्यातों की तुलना में वैश्विक रूप से ज्यादा प्रतिस्पर्धी है।
भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि सामान्यतया रुपये में गिरावट से हमारे व्यापार घाटे में सुधार होता है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन इस समय आयात नहीं घट रहा है, क्योंकि आंतरिक आमदनी में वितरण की समस्या है। वहीं निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा है क्योंकि अन्य मुद्राओं जैसे यूरो, पाउंड और येन की तुलना में रुपया मजबूत है।’
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि रुपये में लगातार गिरावट से आयात पर दबाव पड़ेगा और इसकी वजह से व्यापार घाटा बढ़ेगा। उन्होंने कहा, ‘जिंसों के दाम में कमी से मुद्रा में गिरावट पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह एक निश्चित सीमा में ही होगा।’ सबनवीस ने कहा कि जहां तक सोने के आयात का सवाल है, सरकार द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने के बावजूद इसका आयात उच्च स्तर पर बना रह सकता है, क्योंकि ग्राहकों की धारणा इस जिंस की खरीद से जुड़ी हुई है।
फेडरेशन आफ एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘इस समय हम बड़ा व्यापार घाटा देख रहे हैं क्योंकि भारतीय उद्योग को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधान के कारण भंडार के प्रबंधन की चुनौती से जूझना पड़ रहा है। इसकी वजह से पिछले कुछ महीने में आयात बढ़ा है। हालांकि यह धारणा जारी रहने की संभावना कम है। एक बार जब भंडार का प्रबंधन हो जाएगा, आयातित सामान की मांग कम हो जाएगी।’
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