राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) के मुंबई पीठ ने फ्यूचर रिटेल के खिलाफ दिवालिया एवं ऋणशोधन कार्यवाही शुरू करने की बैंक ऑफ इंडिया की याचिका आज स्वीकार कर ली। इसके साथ ही पंचाट ने इस मामले में अंतरिम समाधान पेशेवर को भी नियुक्त किया है। बैंक ऑफ इंडिया ने ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता की धारा 7 के तहत कार्यवाही के लिए याचिका दायर की थी। पंचाट ने इस मामले में ई-कॉमर्स दिग्गज एमेजॉन की हस्तेक्षप याचिका भी खारिज कर दी। विधि विशेषज्ञों ने कहा कि एमेजॉन के पास राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीली पंचाट (एनसीएलएटी) में इस आदेश को चुनौती देने का विकल्प है। लेकिन पंचाट के निर्णय से फ्यूचर के ऋणदाताओं और रिलायंस समूह दोनों को लाभ मिल सकता है। न्यायाधीश पी एन देशमुख और श्याम बाबू गौतम के पीठ ने लिखित आदेश में कहा, ‘मौजूदा कर्ज और चूक की स्थित के मद्देनजर हम इस याचिका (बैंक ऑफ इंडिया की) को स्वीकार करते हैं और विजय कुमार वी अय्यर को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त करते हैं। ‘ एमेजॉन की याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘याजी न तो कॉरपोरेट कर्जदार की हैसियत से हितधारक है और न ही पंचाट में सुनवाई शुरू होने से पहले वह तीसरा पक्ष था। ऐसे में आईबीसी की धारा 7 के तहत कर्जदारों द्वारा दिवालिया कार्यवाही शुरू किए जाने पर सवाल उठाने का उसे कोई अधिकार नहीं है। इसलिए मौजूदा हस्तक्षेप याचिका खारिज की जाती है।’ बैंक ऑफ इंडिया ने 14 अप्रैल को फ्यचूर रिटेल के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर की थी क्योंकि फ्यूचर समूह और बैंक के बीच हुए करार के तहत बकाये का भुगतान नहीं किया गया था। एमेजॉन ने 12 मई को आईबीसी की धारा 65 के तहत इस मामले में हस्तक्षेप की अपील दायर की थी। एमेजॉन ने कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही का विरोध करते हुए कहा था कि बैंक ऑफ इंडिया और एफआरएल के बीच सांठगांठ है। एमेजॉन ने कहा था कि अभी इस मामले में दिवालिया कार्यवाही शुरू करने से उसके अधिकारों के साथ ‘समझौता’ होगा। एमेजॉन का तर्क था कि आईबीसी की धारा 7 के तहत दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। मगर बैंक ऑफ इंडिया ने एमेजॉन की हस्तक्षेप याचिका विरोध करते हुए कहा कि कंपनी ने फ्यूचर रिटेल को कर्ज नहीं दिया है, इसलिए इस मामले में उसके हस्तक्षेप का कोई आधार ही नहीं है। बैंक के वकीलों ने कहा कि एमेजॉन याचिका दायर कर इस प्रक्रिया में देर करना चाहती है। एमेजॉन ने भारतीय रिजर्व बैंक को भी पत्र लिखकर फ्यूचर रिटेल और बैंकों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था। अपने पत्र में एमेजॉन ने कहा था कि फ्यूचर रिटेल को दिवालिया प्रक्रिया में जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए क्योंकि ऐसा करना उसके अधिकारों के साथ सामझौता होगा। फ्यूचर समूह पर 26 ऋणदाताओं के 15,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हैं।
