कारोबारियों को रास नहीं आई ज्यादा वजनी खाद्य पदार्थों को जीएसटी से छूट | |
सरकार ने 25 किलो से ज्यादा वजनी गैर ब्रांड खाद्य पदार्थों को जीएसटी दायरे से किया बाहर | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली 07 20, 2022 | | | | |
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी दायरे में लाए गए गैर ब्रांड खाद्य पदार्थों पर दी गई राहत कारोबारियों को रास नहीं आई। सरकार ने 25 किलो लीटर से ज्यादा वजन वाले इन पदार्थों को जीएसटी दायरे से बाहर कर दिया है। लेकिन कारोबारी इस राहत से खुश नहीं है और कह रहे हैं कि इससे छोटे कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ेगी। क्योंकि बड़ी मात्रा में बिक्री छोटे छोटे वजन मसलन 1,510 किलो के पैकेट में होती है।कारोबारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं वित्त मंत्रियों को एक पत्र भेजकर बिना ब्रांड वाले खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुओं पर लगे 5 फीसदी जीएसटी को वापस लेने की मांग की है।
कैट के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि आमतौर पर लोग 1 किलो से लेकर अधिकतम 10 किलो की पैकिंग का माल ही खरीदते है और इन पर 5 फीसदी जीएसटी कर उनको देना पड़ेगा। ऐसे में 25 किलो या लीटर से ज्यादा वजन के माल को कर मुक्त करने का कोई औचित्य नहीं है। इस छूट से छोटे कारोबारियों और आम जनता को कोई लाभ नहीं होने वाला है। देश की 85 फीसदी जनता बिना ब्रांड के सामान का इस्तेमाल करती है। इसलिए गरीब जनता को कर की मार से बचाने तथा छोटे व्यापारियों को कर पालना के बोझ से बचाने के लिए जीएसटी दायरे में लाए गए बिना ब्रांड के खाद्य पदार्थों को इस दायरे से पहले की तरह बाहर रखा जाए।
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री हेमंत गुप्ता ने कहा कि भले ही सरकार ने स्पष्ट किया कि 25 किलो से ऊपर के खाद्यान्न पर जीएसटी नहीं लगेगा। साथ ही बोरी से सामान खोलकर 25 किलो से कम सामान तौलकर ग्राहक को देंगे, तब उस पर भी जीएसटी नहीं लगेगा। मगर उन दुकानदारों को दिक्कत होगी, जो अपने नाम से छोटे पैकेट में माल बेचते थे। कई दुकानदारों के पास जीएसटी नंबर भी नहीं है। उन्हें नया नंबर लेने में समय लगेगा। वहीं मुनीम और अकाउंटेंट भी रखने पड़ेंगे। इसमें 4 से 5 प्रतिशत खर्चा और बढ़ जाएगा। जिसका सारा बोझ उपभोक्ता पर आएगा।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के चेयरमैन बृजेश गोयल कहा कि खाद्य सुरक्षा के हिसाब से खुले में आटा, दाल, चावल आदि बेचना स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है। अब छोटे शहरों में भी बिना ब्रांड वाले कारोबारी आटा 5 और10 किलो के पैकेट में, जबकि दाल व चावल एक से पांच किलो के पैकेट में बेचने लगे हैं। ऐसे में 25 किलो से अधिक वजन के खाद्य पदार्थों को जीएसटी से छूट के छोटे कारोबारियों के लिए कोई मायने नहीं रह जाते हैं।
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