वित्त वर्ष 18 से 22 के बीच किसानों की औसत आय में 1.7 गुना तक इजाफा | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली July 18, 2022 | | | | |
भारत के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अध्ययन के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच किसानों की औसत आमदनी 1.3 से 1.7 गुना तक बढ़ी है। वहीं इसी अवधि के दौरान कुछ फसलों जैसे महाराष्ट्र में सोयाबीन और कर्नाटक में कपास की बुआई करने वाले किसानों की आमदनी इस दौरान दोगुना बढ़ी है।
यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब कुछ समय पहले ही सरकार ने किसानों की सफलता की कहानी बताई थी, जिनकी आमदनी दोगुनी हो गई है। साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि वित्त वर्ष 18 से वित्त वर्ष 2022 के बीच परंपरागत खेती करने वालों की तुलना में उन किसानों की आमदनी ज्यादा बढ़ी है, जो नकदी फसलों की खेती करते हैं।
एसबीआई का अध्ययन प्राथमिक रूप से एसबीआई कृषि पोर्टफोलियो के आंकड़ों के आधार पर है, जो कृषि केंद्रित शाखाओं से विभिन्न फसलों के आंकड़े लेता है और किसानों की आमदनी में बदलाव का विश्लेषण करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सैद्धांतिक रूप से हमने किसानों के हर सेग्मेंट से वित्त वर्ष 18 से वित्त वर्ष 22 तक के बेहतरीन तरीके से फैले और बेहतरीन रूप से प्रतिनिधित्व प्रदान करने वाले आंकड़े लिए हैं, जिसमें बड़े से लेकर सीमांत किसान तक शामिल हैं। हमने टी-टेस्ट, एफ-टेस्ट और लॉरेंज कर्व का इस्तेमाल कर आंकड़ों से परिणाम निकाले हैं।’
स्टेट बैंक की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कृषि से जुड़ी और गैर कृषि गतिविधियों से आमदनी में उल्लेखनीय रूप से इस अवधि के दौरान किसानों की आमदनी में 1.4 से 1.8 गुना बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘77वें राष्ट्रीय नमूना सर्वे की धारणा से पता चलता है कि किसानों की आमदनी में फसल के अतिरिक्त गतिविधियों की हिस्सेदारी बढ़ रही है।’ केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने पर गठित अशोक दवलई समिति की रिपोर्ट कुछ साल पहे 14 वाल्यूम में आई थी। इसमें कहा गया था कि आमदनी दोगुनी करने के लिए 2015-16 से 2022-23 के बीच कृषि और गैर कृषि दोनों स्रोतों से 10.4 प्रतिशत आमदनी बढ़ाने की जरूरत होगी। इसने अनुमान लगाया था कि कृषक परिवारों की औसत सालना आमदनी 2015-16 में 96,703 रुपये है, जो 2022-23 में बढ़कर 1,72,694 रुपये हो जाएगी।
स्टेट बैंक की रिपोर्ट में कृषि ऋण माफी की कड़ी आलोचना की गई है, जिसकी घोषणा विभिन्न राज्यों और सरकारों ने पिछले कुछ साल में की है। इसमें कहा गया है कि माफी से समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, बल्कि ऋण अनुशासन खराब हुआ है और बैंकों की आगे की उधारी को लेकर चिंता बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दरअसल यह राज्यों का इस विषय पर अपना लक्ष्य होता है।’ इसमें कहा गया है कि 2014 से 3.7 करोड़ पात्र किसानों में से सिर्फ आधे किसानों कर्जमाफी का फायदा मिला है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बाजार से जुड़े मूल्य के करीब पहुंचा है जिससे किसानों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित हो सका है।
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