आय 2.5 लाख से कम तो भी भर दीजिए रिटर्न | बिंदिशा सारंग / July 18, 2022 | | | | |
अगर आपकी आय इतनी नहीं है कि कर काटा जाए तो भी आपको आयकर रिटर्न दाखिल करना चाहिए। ऐसे रिटर्न को 'निल' या 'जीरो आयकर रिटर्न' कहते हैं। इसे दाखिल करने से आयकर विभाग को पता चल जाता है कि आपने आय कम होने के कारण कर नहीं चुकाया।
2.5 लाख रुपये से कम आय होने पर व्यक्ति या अविभाजित हिंदू परिवार को रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं पड़ती। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा ने कहा, 'निल या जीरो रिटर्न दाखिल करना जरूरी नहीं है लेकिन ऐसा करने के कई फायदे होते हैं।'
कई परिस्थितियों में रिटर्न दाखिल करना जरूरी हो जाता है भले ही करदाता की आय अनिवार्य छूट यानी 2.5 लाख रुपये से कम ही क्यों न हो।
एनए शाह असोसिएट्स के पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं, 'अगर करदाता ने किसी वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख रुपये या ज्यादा का बिजली बिल भरा है, विदेश यात्रा पर 2 लाख या ज्यादा रुपये खर्च किए हैं अथवा एक या अधिक बैंक खातों में कुल 1 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए हैं तो उसे रिटर्न दाखिल करना ही होगा।'
2.5 लाख रुपये से कम आय होने पर भी रिटर्न उस सूरत में भी दाखिल करना पड़ता है, जब व्यापार में उसकी कुल बिक्री, कारोबार अथवा कुल प्राप्ति 60 लाख रुपये से ज्यादा हो, उसे पेशे से 10 लाख रुपये से अधिक मिले हों, 25,000 रुपये से अधिक (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये से अधिक) टीडीएस या टीसीएस कटा हो या बचत खातों में 50 लाख रुपये से अधिक जमा किए गए हों। सामान्य निवासी करदाता के पास विदेशी संपत्तियां होने पर भी उनका खुलासा करते हुए उसे रिटर्न दाखिल करना ही पड़ेगा।
निल आईटीआर दाखिल करने के कई फायदे हैं। वाधवा कहते हैं, 'आपको रिटर्न दाखिल करना चाहिए। वित्त वर्ष में आपकी आय दर्शाने वाला यह इकलौता प्रमाण है।' ऐसा करने से कर्ज मिलने में भी आसानी होती है। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी के पार्टनर मणीत पाल सिंह कहते हैं, 'कर्ज या बीमा के लिए आवेदन करने में यह सबसे विश्वसनीय वैधानिक दस्तावेज माना जाता है।'
अगर आप किसी वित्त वर्ष में रिफंड के हकदार हैं तो रिटर्न दाखिल कर ऐसा कर सकते हैं भले ही आपकी आय 2.5 लाख रुपये से कम हो। वाधवा कहते हैं, 'अगर आप किसी देश में वीजा के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो आपको रिटर्न की प्रति जरूर जमा करनी होगी।'
अगर किसी साधारण करदाता के पास विदेशी संपत्ति या आय है तो उन्हें संपत्तियों या आय को उजागर करने के लिए कर रिटर्न दाखिल करना जरूरी होता है।
रिटर्न दाखिल करने से आप अन्य स्रोतों से होने वाले नुकसान भी निपटा सकते हैं। बोहरा कहते हैं, 'अगर आपकी आय से कर कटौती की गई है तो उसके रिफंड के लिए आपको निल रिटर्न दाखिल करना होता है। शेयर की बिक्री , म्युचुअल फंड, संपत्तियों आदि के लेनदेन के दौरान व्यवसाय से होने वाले नुकसान या पूंजीगत नुकसान की भरपाई के लिए भी ऐसा करना होगा। इसे भविष्य में लाभ के लिए और कर देयता कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।'
व्यक्ति या अविभाजित हिंदू परिवार को निल रिटर्न 31 जुलाई तक दाखिल करना होता है। वोहरा कहते हैं कि धारा 139(4) के तहत कोई भी व्यक्ति अगले साल 31 मार्च तक विलंब से रिटर्न भी दाखिल कर सकता है। मगर उस सूरत में कुल आय 5 लाख रुपये से कम होने पर 1,000 रुपये विलंब शुल्क देना पड़ता है। अगर रिटर्न दाखिल करना जरूरी नहीं है तो धारा 234(4) के अंतर्गत करदाता को विलंब शुल्क नहीं देना पड़ता। आप 31 दिसंबर तक स्वेच्छा से रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
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