केंद्र सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के निदेशक मंडलों को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है। वह पूर्णकालिक सदस्यों के लिए पद एवं सेवा शर्तें तय करने और सभी निदेशकों के लिए अन्य कंपनियों से जुड़े अपने हितों का खुलासा जरूरी बनाने की दिशा में काम कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक के जरिये नए बदलावों की कोशिश कर रही है, जिनका मकसद बोर्ड को मजबूत करना और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों को जवाबदेह बनाना है। ये संशोधन बैंकिंग कंपनी (उपक्रम का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम में करने पर विचार किया जा रहा है। इन बदलावों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के चेयरमैन की अवधि और उनकी सेवा शर्तें तय करना भी शामिल है। बैंकिंग कंपनी (उपक्रम का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम के मुताबिक जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, तब चेयरमैन बैंकों के संरक्षक के रूप में काम करते थे। सरकार जिन बदलावों पर विचार कर रही है, वे अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों की जगह लेंगे। इन बदलावों से भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर कोई असर नहीं पड़ने के आसार हैं क्योंकि उसके लिए अलग कानून हैं। इन बदलावों में पूर्णकालिक निदेशकों और स्वतंत्र निदेशकों की सेवा शर्तें और उनकी अयोग्यता की शर्तें शामिल होने के आसार हैं, जिनका मौजूदा कानून में उल्लेख नहीं है। अधिकारी के मुताबिक यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि निदेशक मंडल के सदस्य ज्यादा सूचनाएं साझा करें। केंद्र की अधिसूचना के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों को अन्य कंपनियों या बैंकों से जुड़े अपने हितों का खुलासा करना होगा। इन प्रावधानों को कानून में शामिल किया जा सकता है। साथ ही बैंकों के बोर्ड जरूरत महसूस होने पर या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह पर समितियां गठित कर सकेंगे। केंद्र संबंधित पक्ष के साथ अनुबंध या व्यवस्था करने के लिए भी शर्तें तय कर सकता है। वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशक मंडल के लिए नई योजना को मंजूरी देने पर भी विचार कर रहा है। इसमें बताया जाएगा कि केंद्र कितने निदेशकों को अधिसूचित कर सकता है और शेयरधारक अपनी शेयरधारिता के हिसाब से कितने निदेशक नियुक्त कर सकते हैं। इस समय केंद्र छह निदेशक नियुक्त कर सकता है। जिन शेयरधारकों के पास 16 फीसदी शेयर हैं, वे एक निदेशक नियुक्त कर सकते हैं। जिन शेयरधारकों के पास 16 से 32 फीसदी शेयर हैं, वे दो निदेशक नियुक्त कर सकते हैं और 32 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी वाले शेयरधारक तीन निदेशक नियुक्त कर सकते हैं। केंद्र सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का और शुरुआत में उनमें कुछ हिस्सेदारी अपने पास रखने के बारे में विचार कर रहा है। ऐसे में वह चाहता है कि निजी बैंक भी इन नियमों का पालन करें। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पिछले सप्ताह खबर दी थी कि केंद्र सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में व्यक्तियों के लिए 10 फीसदी शेयरधारिता की सीमा हटाने के बारे में विचार कर रहा है ताकि पीएसबी के निजीकरण के दौरान निजी इक्विटी कंपनियां भी उनमें हिस्सेदारी खरीद पाएं। सरकार ने अभी इस बारे में अंतिम फैसला नहीं लिया है कि वह शुरुआत में इन पीएसबी में कितनी हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। बैंकिंग संशोधन कानून के जिस पिछले प्रारूप को केंद्र संसद के शीत सत्र में पेश करने की योजना बना रहा था, उसके मुताबिक सरकार निजीकरण के बाद भी पीएसबी में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखेगी।
