म्युचुअल फंडों ने जून में अपना दांव कुछ ही कंपनियों में लगाया जब इससे पिछले महीने उनका निवेश बास्केट बढ़कर सबसे बड़ा हो गया था। जून के आखिर में उन्होंने कुल 838 कंपनियों में निवेश किया, जो मई में निवेशित 846 कंपनियों के मुकाबले आठ कम है। यह जानकारी प्राइमएमएफडेटाबेस डॉट कॉम से मिली। मई का 846 कंपनियों का आंकड़ा कम से कम छह साल का उच्चस्तर है, यानी यह जून 2016 में देखा गया था। इक्विटी म्युचुअल फंड अपने क्लाइंटों से रकम इकट्ठा कर उनके बदले शेयर बाजार में निवेश करते हैं। ऐसी योजनाओं के जरिए वे 12.9 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन करते हैं। यह जानकारी उद्योग निकाय एम्फी के आंकड़ों से मिली। उद्योग कुल मिलाकर 37 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन करता है, जिसमें डेट इन्वेस्टमेंट व हाइब्रिड योजनाएं आदि शामिल हैं। एमएफ जिन कंपनियों में निवेश करता है, उसकी संख्या भले ही घटी हो लेकिन शेयर बाजार में उसकी कुल होल्डिंग बढ़ती रही है। जून में म्युचुअल फंडों का स्वामित्व 7.79 फीसदी था, जो इससे पिछले महीने 7.45 फीसदी रहा था। इससे संकेत मिलता है कि उद्योग ने ज्यादा रकम लगाई है (जबकि उसकी तरफ से निवेशित कंपनियों की संख्या घटी है), जो कुछ फर्मों में उनकी होल्डिंग बढ़ा रहा है। शुद्ध रूप से इक्विटी फंडों में शुद्ध निवेश जून में 15,497.76 करोड़ रुपये रहा और यह जानकारी एम्फी के आंकड़ों से मिली। बाजार की चाल बताने वाला एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स जून में 4.6 फीसदी के नुकसान के साथ 53,018.94 पर बंद हुआ। वैश्विक स्तर पर नकदी पर सख्ती के कारण बाजारों में गिरावट आ रही है। वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में उपलब्ध नकदी में कमी की है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 2022-23 में 1.14 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध बिकवाल रहे हैं। यह इससे पिछले साल हुई रिकॉर्ड 1.4 लाख करोड़ रुपये की निवेश निकासी के अतिरिक्त है। क्वांटम म्युचुअल फंड के फंड मैनेजर (इक्विटी) एस गुप्ता ने कहा कि पहले दौर की बिकवाली मोटे तौर पर ज्यादा लिक्विड फर्मों में होती है। ऐसे शेयरों खरीदार व विक्रेता काफी होते हैं और लेनदेन आसानी से हो जाता है। अगले चरण में अक्सर कम लिक्विड शेयरों की बिकवाली शामिल होती है। ऐसे लेनदेन में कीमत में काफी कटौती शामिल होती है क्योंकि इसके लिवाल कम होते हैं और ज्यादा शेयर खरीदार को तलाशना मुश्किल होता है। गुप्ता ने कहा, यह जोखिम है, जो आने वाले समय में सामने आ सकता है, जिसका प्रबंधन फंड मैनेजरों को करने की दरकार है। उन्होंने कहा, हम ज्यादा लिक्विड शेयरों को तरजीह देते हैं। नकदी कम हो रही है। जून में एनएसई में रोजाना औसतन 44,608 करोड़ रुपये के शेयरों का कारोबार हुआ। यह मई के 57,677 करोड़ रुपये और पिछले साल जून के 70,668 करोड़ रुपये के मुकाबले कम है। आय में बढ़ोतरी के बावजूद बिकवाली हुई है। जेफरीज के विश्लेषकों महेश नंदूरकर और अभिनव सिन्हा ने एक रिपोर्ट में कहा है, भारतीय कंपनियां आय में सालाना आधार पर 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज कर सकती हैं, जिसमें जिंस दिग्गज, तेल व धातु शामिल नहीं हैं। ये बातें 11 जुलाई की इक्विटी स्ट्रैटिजी रिपोर्ट में कही गई है।
